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डेंगू ,चिकनगुनिया से तड़पती “हिन्दी”

PAPI HARISHCHANDRA
PAPI HARISHCHANDRA
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हिंदी को अच्छे दिन (राष्ट्र भाषा) का लालच देकर राज भाषा का ही स्थान दिया किन्तु उसमें भी सौतेली इंग्लिश को प्रथम स्थान देकर हिंदी को लचर बना दिया | कहा मात्रभाषा जाता है किन्तु सौतेली माँ उसमें भी गयी गुजरी हालात | कानूनन राजमाता तो इंग्लिश किन्तु केवल अनुवादित राजमाता हिंदी …..|……………………………………………………………………..भारत में अधिकांश लोग हिंदी को राष्ट्रभाषा मानते हैं। देश की सर्वाधिक जनसंख्या हिंदी समझती है और अधिकांश हिंदी बोल लेते हैं। लेकिन यह भी एक सत्य है कि हिंदी इस देश की राष्ट्रभाषा है ही नहीं। लखनऊ की सूचना अधिकार कार्यकर्ता उर्वशी शर्मा को सूचना के अधिकार के तहत भारत सरकार के गृह मंत्रालय के राजभाषा विभाग द्वारा मिली सूचना के अनुसार भारत के संविधान के अनुच्छेद 343 के तहत हिंदी भारत की ‘राजभाषा’ यानी राजकाज की भाषा मात्र है। भारत के संविधान में राष्ट्रभाषा का कोई उल्लेख नहीं है।……………………...दुःख तो तब और भी अधिक होता होगा जब हिंदी के पुरोधा ही हिंदी को राष्ट्र भाषा कहकर सम्मलेन करते हैं गोष्ठियां करते हैं |समाचार पत्र भी राष्ट्र भाषा ही कहकर ठगते रहते हैं | ……………………………………………………………………………………………..हिंदी दिल्ली मैं डेंगू और चिकनगुनिया से पीड़ित सरकारी अस्पतालों मैं तड़पते मरीजों सी तड़प रही है | जिसका कोई देखने वाला भी नहीं | जहाँ इंग्लिश पाहिले तो पीड़ित ही नहीं यदि किसी वक्त कुछ हो भी गया तो प्राईवेट अस्पतालों मैं राजसी इलाज से और भी पुष्ट हो रही है | ………………………………………………………………………………………………………… अच्छे दिनों की आस लिये हिन्दी भी ठगी गयी है वह ना तो संविधान में राष्ट्रभाषा का दर्जा पा सकी है ना ही मात्र भाषा का …| अब तो दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में डेंगू और चिकनगुनियाँ से पीड़ित मरीजों सी हो गयी है जिसका इलाज की जिम्मेदारी राजनीतिक पार्टियाँ एक दूसरे पर थोप रही हैं |……………………………………………………………………………………हिंदी दिवस पर आई सी यू मैं पड़ी हिंदी को महसूस होता है की वह अभी जिन्दा है | उसका कोई महत्त्व हो या न हो ,हिंदी दिवस पर वह त्योहारों पर माता सी पूजनीय हो जाती है | ………………………………………………………………………...डॉक्टरों (राजनीतिज्ञों ) को लगता है हिंदी को राष्ट्रभाषा सा जीवंत नहीं किया जा सकता है | उसकी सांसें चलती रहें इतना ही बहुत है | इंग्लिश की ऑक्सीजन उसे वेंटिलेटर पर जीवित रख सकती है | हिंदुस्तान के 80 प्रतिशत क्षुद्र जो गरीबी मैं हिंदी ही बोल सकते हैं ,अपनी दुआओं से उसे मरने नहीं देंगे | …………………………………………………………………………………………….शिव तांडव मैं डमरू से निकले स्वर व्यंजनों से पाणिनि की लिपि बद्ध की गयी संस्कृत तो नेपथ्य मैं जा चुकी है | …..संस्कृत जिसने मनुष्य को बोलना पड़ना सिखाया वह अन्य जीवों से अलग बना और संसार की सभी भाषाओँ की जननी बनी | ……………………………………………………………………………………………...वैसा हाल हम हिंदी का नहीं होने देंगे हिंदी जीवित रहेगी | हिंदी मैं इंग्लिश की ह्रदय धड़कन ,उसे मरने नहीं देगी | शरीर हिंदी का होगा किन्तु एक एक कर सभी अंग इंग्लिश के लगते जायेंगे | और हिंदी विश्व की भाषा हो जाएगी | विश्व गुरु बनने के साथ विश्व स्तरीय भाषा भी तो होनी चाहिए ….| ………..एक सौतन इंग्लिश का हिंदुस्तान की हिंदी के लिए किया गया त्याग अनोखा होगा | ……………………………………………………………………………………………………………………………क्या हिंदी हिंदुस्तान के ह्रदय दिल्ली के अस्पतालों मैं मर सकती है ,जबकि दिल्ली मैं दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री ,देश के स्वास्थ्य मंत्री हों ,प्रधान मंत्री हों ,राष्ट्रपति हों ,देश के सभी राज्यों के सांसद हों ,विधायकों की टीम के साथ मुख्यमंत्री हों | ………………………………………………………………………………………………………………….हिंदी माँ…तुम्हें कुछ नहीं होगा | तुम्हें चिकनगुनियाँ ,डेंगू ,या मलेरिया से भय भीत नहीं होना चाहिए | यह सब मच्छरों से होते हैं | मच्छर गंदगी से होते हैं | गंदगी का नाश करने के लिए ही तो हमारे देश के प्रधान मंत्री जी ने स्वच्छता अभियान जोर शोर से चलाया है | माँ तुम दिल्ली के मुख्यमंत्री को क्यों भूल रही हो ..उनका तो चुनाव चिन्ह ही झाड़ू है | वो कैसे गंदगी को सहन कर सकेंगे | जो भ्रष्टाचार जैसी गंदगी को तक भी नहीं सहन करते हैं | …………………………………………………………………………………………………………………….अभी आप क्यों दिल्ली के तीन म्युनिसिपल कारपोरेसन को भूल रही हैं | उनका तो काम ही दिल्ली को स्वच्छ रखना ही होता है | तीन तीन मेयर ,तीन तीन कमिश्नर क्या मच्छरों को पनपने देंगे | ………………………………..कोई ख्याल रखे या न रखे दिल्ली प्रदेश के सर्वशक्तिमान LG नजीब जंग जी कैसे जंग मैं पीछे भाग सकते हैं |……………………………………………………………………………………………………………………दुनियां की सर्वोत्तम डॉक्टरों की टीम क्या तुम्हें मरने देगी ….? बड़े बड़े सम्मलेन होंगे गोष्ठियां होंगी ,बड़े बड़े डॉक्टरों की टीम (हिंदी विद्वानों )नए नए उपाय ढून्ढ लेंगे | हिंदी पखवाड़े होंगे प्रचार होगा प्रसार होगा | हिंदी मैं काम करने बोलने के पोस्टर याद दिलाते रहेंगे | ……………………………………………………………………………………माँ अपना आत्म बल बढ़ाओ ,जीवन की आस किसी को मरने नहीं देती |..मन मैं ठान लो तुम नहीं मरोगी | ….सर शैया पर मरणासन्न भीष्म पितामह तो केवल आत्म बल से ही छह महीने तक नहीं मरे थे | …………………………………………………………………………………………………………………..माँ वह दिन जब तुमअपने अच्छे दिनों की कल्पना मैं कितनी खुश थी जब ..राष्ट्रभाषा प्रचार समिति की स्थापना सन्‌ 1936 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी ने एक स्वयं संचालित राष्ट्रभाषा संस्था के रूप में की थी।…एक राष्ट्र और एक राष्ट्रभाषा का पवित्र संकल्प लेकर गाँधीजी ने इस समिति की प्राण प्रतिष्‍ठा की और उनकी परिकल्पनाओं को मूर्त रूप देने में डाँ राजेन्द्र प्रसाद, पं. जवाहरलाल नेहरू , नेताजी सुभाषचन्द्र बोस, सरदार वल्‌लभभाई पटेल, जमनालाल बजाज, चक्रवर्ति राजगोपालाचारी, राजर्षि पुरूषोत्तम टंडन, आचार्य काकासाहेब कालेलकर, पं. माखनलाल चतुर्वेदी, आचार्य नरेन्द्र देव आदि महापुरुषों ने जो अथक परिश्रम किया , वह इतिहास के पन्नों पर सुनहरे अक्षरों में लिखा गया है।…………………………………………………………………………………………………………
संविधान सभा द्वारा 14 सितंबर, 1949 को सर्वसम्मति से हिंदी को संघ की राजभाषा घोषित किया गया था। तब से केंद्र सरकार के देश-विदेश स्थित सभी कार्यालयों में हर साल 14 सितंबर हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है।…………………………………………………………………………..…माँ वह समय जब तुम्हें धोखे का भान हुआ | तुम राष्ट्र भाषा नहीं बन पाई , तुम्हें राजभाषा पर ही टरका दिया गया ,वह भी दूसरे दर्जे की | ,तुम्हारा दर्द समझते इंग्लिश सौतन का भरपूर विरोध किया गया | सरकारी कार्यालयों , पाठ्यक्रम मैं से इंग्लिश को हटाने ,यहाँ तक बाजार मैं लगे इंग्लिश के साईन बोर्डों मैं भी कालिख पोत दी गयी थी | इंग्लिश की अनिवार्यता ख़त्म करनी पड़ गयी थी | लगा था अब तो हिंदी माँ के अच्छे दिउन आ ही गए | …………………………………………………………………………………………………………………………..किन्तु इंग्लिश भी अपने रूप रंग यौवन से कैसे पीछे रहती उसने साम दाम दंड भेद से हिंदुस्तान की गरीब जनता को लुभा लिया लोग इंग्लिश के माया मोह मैं फंसते चले गए | आज राजमाता का सिंघासन इंग्लिश का है | ………………………………………………………………………………………………………………………..माँ तुम बिंदी हो हिंदुस्तान के माथे की बिंदी हो ,तुम्हें चमकते रहना होगा | क्या हुआ तुम सौतेली माँ बनी किन्तु हैं तो हमारी माँ ही | राज सिंघासन न सही तुम करोड़ों हिंदुस्तानियों की माँ हो जहाँ हम अपने भाव प्रकट करते शांति पाते हैं |……………………………………………………………………………………..माँ दूसरे दर्जे की राजभाषा ही सही ,तुम्हारा सौतेला जन्म दिन मुबारक हो …………………………………………………………………….ॐ शांति शांति शांति

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