गुरु पूर्णिमा,’आतंकवाद मुक्ति’ ब्राह्मणत्व(शीला )से
PAPI HARISHCHANDRA
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व्यंग हितोपदेश ….. उत्तर प्रदेश की राजनीती मैं एक बार फिर भूले बिसरे ब्राह्मण गुरु को स्मरण शीला दीक्षित के रूप मैं कर लिया है |……..कहा जाता है की तीन ब्राह्मण एक स्थान पर एक मत नहीं हो सकते हैं | किन्तु ब्राह्मण चाणक्य तीन वर्णों को लड़ा कर विजयी होकर गुरु पद पर स्थापित हो सकता है | गुरु बन्ने के योग्य वाही होता है जिसमें संस्कार हों ,ज्ञान हो ,अनुभव हो और सूझ बुझ की विरासत हो | ……………………………………………………………………………शीला नाम से शील वान है | जन्म से ब्राह्मण संस्कारवान ,स्वयं गुणी ,परिवार से गुणी , अनुभव का भंडार ,उम्र का गुरुकारक ज्ञान ,एक नारी स्वरुप तेजश्वी विधवा ब्राह्मणी का तेज ……सब कुछ एक गुरु की योगयता से गुरु मन्त्र से सिद्धी दे सकता है | ………………………………………………….कांग्रेस को गुरु भटके वर्षों बीत चुके हैं …..उसे अपनी अज्ञानता पर खीज हो रही है की उसने गुरु को क्यों विसरा दिया | …….देश की राजनीती हो या प्रदेश की ….गुरु सदैव ही कांग्रेस के उद्धारक रहे | …..जब देश का प्रधान मंत्री ही जवाहर लाल नेहरू सा ब्राह्मण गुरु रहा हो तो क्यों नहीं गुरु ज्ञान से देश समाज का उत्थान होता | आज देश जहाँ भी खड़ा है सद्गुरु के सन्मार्ग से ही खड़ा है | …………………………………………………….क्या गुण होते हैं एक सद्गुरु ब्राह्मण के ….?.………गीता के अनुसार ………….अंतकरण का शुद्ध करना ,इंद्रियों का दमन ,धर्म पालन के लिए कष्ट सहना ,बाहर भीतर से शुद्ध रहना ,दूसरों के अपराधों को क्षमा करना ,इंद्रिय और शरीर को सरल रखना ,वेद शास्त्र ,ईश्वर और परलोक मैुं श्रद्धा रखना ,परमात्मा के तत्व का अनुभव करना यह सब ब्राह्मण के स्वाभाविक कर्म हैं जो उसमें अपने संस्कारों से ही मिल जाते हैं | .. इन संस्करोंं के साथ अपने को संयमित रखने के लिए बाहरी तौर पर स्नान से शुद्धि पाकर अंतःकरण की शुद्धि के लिए सदैव सुबह शाम की संध्या बंधन करते ईश्वर से अपने पाप कर्मों के लिए क्षमा याचना गायत्री मन्त्र जपते करना | ………………………………………………….ऐसा संस्कारी व्यक्ति यदि समाज और लोक कल्याण के लिए राजनीतिक मार्ग से चुनता है तो वह सच्चे तौर सद्गुरु कहलाने योग्य होगा | ……..एक ब्राह्मण गुरु का लक्ष्य केवल लोक कल्याण ही होगा | नैतिकता प्राथमिक होगी | …..समाज मैं लूट खसूट ,भ्रष्टाचार को समाप्त करना ही गुरु मन्त्र होगा | ……………समाज मैं ब्राह्मणत्व का प्रसार करना ही धर्म होगा | ……….काम क्रोध ,मद लोभ,मोह का दमन ही शांति मार्ग होगा | …….समाज मैं व्याप्त आतंकवाद.रूपी क्षत्रियता , लूट खसूट रूपी वैष्यता ,और अज्ञान नैतिकता विहीन शूद्रता का नाश केवल ब्राह्मणत्व रूपी गुरु मन्त्र ही कर सकता है | ….इसलिए ब्राह्मणत्व के प्रसार के लिए ब्राह्मण ही सद्गुरु ज्ञान दे सकता है | ब्राह्मण यदि महिला हो तो और भी प्रभावी सद्गुरु ज्ञान प्रदान करते समाज मैं शांति मार्ग ल सकती है | ……………………………………………………………………………………………हिन्दू समाज ही नहीं अन्य सभी समाज भी लोक मैं सद्ज्ञान से वैभव पाते परलोक मैं मुक्ति चाहते हैं | जो केवल ब्राह्मणत्व से ही पाई जा सकती है | ……संस्कार नहीं ,वंशपरम्परा नहीं ,लेकिन एक मार्ग तो है जिसका अनुकरण किया जा सकता है | …………………………………………………….आतंक वाद के कारक राक्षस गुरु शुक्राचार्य से गुरु हैं जो राक्षशों को बहका कर मुक्ति मार्ग से भटका रहे हैं जब की वे भी जानते हैं की यह मुक्ति मार्ग नहीं है | लेकिन शुक्राचार्य तो राक्षस गुरु हैं उनका धर्म राक्षशों का उत्थान देवताओं के नाश से ही होता है | ……..युगों से यही होता आया है |……राक्षशी प्रबृति पैदा करो और देव लोक पर कब्ज़ा करो | न कर सको तो उन्हें चैन से मत रहने दो |…आजकल शुक्राचार्य रुपी राक्षस गुरु का प्रभाव अधिक है लोग उनसे तुरंत प्रभावित हो जाते हैं और आतंकवाद को ही गुरु ज्ञान मान लेते हैं …देव गुरु ब्रहस्पति निस्तेज हो चुके हैं |….विकास मार्ग को ही मुक्ति मार्ग मान लिया जाता है | ….पता नहीं कैसे मिलेगी ओम शान्ती शान्ती ………………………………………………………….ब्राह्मणत्व किसी धर्म या वर्ण का नाशक नहीं बल्कि उन्हें ब्राह्मणत्व की तरफ लाकर लोक परलोक सुधारने का मार्ग है | .यदि देश के कर्णधार संस्कारों से ब्राह्मणत्व प्राप्त होंगे तो उनका अनुसरण करते प्रजा अवश्य ही सुखी होगी | ……………क्योंकि कहा भी है .,………………………………….यथा राजा तथा प्रजा ………………………………………अपने ,अपने परिवार ,अपने धर्म ,देश और संसार के लोक हित के लिए त्याग की भावना जाग्रत करना ही ब्राह्मणत्व होगा | …जिससे लोकं परलोक सुधरेगा | …………………………………………………………………………………….विकास की प्रतिद्वंदिता ही सम्पूर्ण पापों का कारण होता है | ……………………………………………..इन्हीं भावनाओं को पाकर यदि अपने साथ साथ लोक कल्याण करना है तो ब्राह्मणत्व पाने के लिए .शारीरिक शुद्धता करते अंतकरण की शुद्धी हेतु सुबह शाम प्राणायाम करने के बाद एक माला गायत्री मन्त्र का जप आवश्यक कर दिया जाना चाहिए | …………………………………………………………………..आतंकवाद के मार्ग को अपना चुके लोगों के लिए यही एक सजा हो की वे दिन भर गायत्री मन्त्र का जप करते रहें | ताकि उनकी आत्मा शुद्ध हो सके और वे समाज मैं बाल्मिकी ,तुलसीदास ,कबीरदास ,सूरदास ,रहीम दास ,.या भक्त प्रह्लाद बनकर ब्राह्मणत्व प्राप्त हों | ……………………………………………………………जब त्याग के साथ लोक कल्याण भाव पैदा हो जायेगा तो आतंकवाद का स्वतः ही अंत होता जायेगा | सर्वत्र ओम शांति शांति शांति का आभास ही होगा ……………..
जन्मना जायते शूद्रः संस्कारात् द्विज उच्यते। शापानुग्रहसामर्थ्यं तथा क्रोधः प्रसन्नता। ब्राह्मण……सर्वेजनासुखिनो भवन्तु ..……………(सभी जन सुखी तथा समॄद्ध हों) एवं ………………………………..वसुधैव कुटुम्बकम…..(सारी वसुधा एक परिवार है) ….में विश्वास रखते हैं।………………………………………………………………………………………………………...न जटाहि न गोत्तेहि न जच्चा होति ब्राह्मणो।यम्हि सच्चं च धम्मो च सो सुची सो च ब्राह्मणो॥अर्थात : भगवान बुद्ध कहते हैं कि ब्राह्मण न तो जटा से होता है, न गोत्र से और न जन्म से। जिसमें सत्य है, धर्म है और जो पवित्र है, वही ब्राह्मण है। कमल के पत्ते पर जल और आरे की नोक पर सरसों की तरह जो विषय-भोगों में लिप्त नहीं होता, मैं उसे ही ब्राह्मण कहता हूं।……………………………..गुरुर ब्रह्मा ,गुरुर विष्णु ,गुरुर देवो महेश्वरः | गुरुर साक्षात् परम ब्रह्मह तशमै श्री गुरुवै नमः ||..……………….इस सत्य को यदि समाज समझ ले तो वह भी गुरु का महत्व समझने वाले सिख समाज की तरह लोक परलोक मैं सुखी हो जायेगा | ………………………………………...ओम शांति शांति शांति
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