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रघु के राम की शिकागो(कसाईखाना)वापिसी

PAPI HARISHCHANDRA
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व्यंग साहित्य

मोदी जी अनमोल हैं जिनका भाव समयानुसार बढ़ता रहेगा किन्तु कोहिनूर स्थिर भाव बेमोल है …………………………………………….……………………….रघुराम राजन के भारत की अर्थव्यवस्था पर विवादित फिसले बोल ……………………………………चमकदार बिंदु …………………………अंधों मैं काना राजा ….सांता क्लॉज जो करता हूँ वह करता हूँ …. हम ना तो बाज हैं और ना कबूतर, हम उल्लू हैं। हम सब दरअसल उल्लू हैं…………..मैं कोई सुपरमैन नहीं हूं …….मेरा काम वोट या फेसबुक ‘लाइक्स’ पाना नहीं…………बार-बार ‘भेड़िया आया’ का रोना नहीं रोएं …………..महंगे दोसा के लिए तवा जिम्मेदार……….मैं निराशावादी नहीं हूं…………………बेकर की मेहरबानी से नहीं मिलते ब्रेड…….………………रघुराम राम राजन को अपनी कार्य शैली सुधारने हेतु दी गयी सुभ्रयमनयम स्वामी की शिकागो भेजने की धमकी ……………………………………………………………………………...क्यों डरेंगे शिकागो से ,शिकागो की एक छवि ……………………………………….. शिकागो मेट्रोपालिटिन क्षेत्र जिसे बोलचाल की भाषा में शिकागोलैंड के नाम से भी जाना जाता .है | ………………………………………………………………शिकागो अमरीका के इलिनाय प्रांत का पश्चिम-मध्य में सबसे बड़ा शहर है तीस लाख आबादी वाला यह शहर अमरीका का तीसरा सबसे बड़ी आबादी वाला शहर है। मिशिगन झील के दक्षिणी नोंक पर स्थित शिकागो विश्व का सबसे बड़ा रेलवे जंक्शन है। यहाँ तीस से भी अधिक रेलमार्ग मिलते हैं। मिशिगन झील पर स्थित होने के कारण यह एक उत्तम बन्दरगाह का भी कार्य करता है।……………………….अमरीकी परिवहन व्यवस्था, अमरीकी संस्कृति, अमरीकी राजनीति, अमरीकी शिक्षा और अमरीकी अर्थव्यवस्था का एक बड़ा केंद्र है। शिकागो को पश्चिम मध्य अमरीका की व्यवसायिक और सांस्कृतिक राजधानी भी कहते हैं।………………………………..यहाँ  संसार में गल्ला और मांस की सबसे बड़ी मंडी है। यहाँ विश्व के सबसे अधिक पशु काटे जाते हैं। इसी से इसे विश्व का कसाईखाना कहते हैं। यहाँ से मक्का खिलाकर मोटा किये हुए जानवरों को काटकर उनका मांस डिब्बों में भरकर बाहर भेजा जाता है।……………………एक हिन्दू, गाय के मांस से परहेज रखने वाले रघुराम राम राजन को सुभ्रमण्यम स्वामी द्वारा सिकागो वापस भेजना किसी युग के काला पानी से भी दुर्गन्ध युक्त लगेगा …..कैसे होइगी ओम शान्ती शान्ती ……………………………....मोदी स्तुति ……………………………………………………………………………राम की चाहत कोई प्रधानमंत्री बनने की नहीं है | किन्तु मैं यह चाहता हूँ की मुझे बुढ़ापे मैं कसाई खाने मैं न जाना पड़े | भारत मैं सभी हिन्दू धर्मियों मैं यह धारणा होती है की अपनी जन्म भूमि मैं अपने नाते रिस्तेदारों के बीच ही गंगा किनारे बनारस मैं गंगा स्नान करते गुजरे | ….राम को राम जन्म भूमि से दूर कसाईखाना इस लोक और परलोक मैं नारकीय ही लगेगा | यह कैसा राम को बनवास दिया जा रहा है | .राम तो अयोध्या मैं ही शोभा देते हैं |……………….. हे प्रभो कैसा कलियुग आ गया है की राम के भक्त ही राम राज्य की स्थापना के लिए राम को बुढ़ापे मैं बनवास .देना चाह रहे हैं | ……………………………………………………………..मेरे से जाने अनजाने मैं ,आमोद प्रमोद मैं या अहंकार वश कुछ अपशब्द निकल गया हो तो क्षमा करना ,क्यों कि मैं जानता हूँ कि आपका आशीर्वाद मुझे सब कुछ दे सकता है तो आपका श्राप भी मिटटी मैं मिला सकता है ,|………………………………………………………….

प्रभो महाभारत मैं आपके विराट रूप से भयभीत अर्जुन को भी आपसे क्षमा मांगनी पढ़ी थी ,…………………………….पितासि लोकस्य चराचरस्य त्वमस्य पूज्यस्य गुरुरगरीयां | न त्वत्समो अस्त्याभ्यधिकः कुतोन्यो लोकत्रयेप्य प्रतिम प्रभाव || ……………………………..आप इस चराचर जगत के पिता और सबसे बड़े गुरु अवं अति पूजनीय हैं ,हे अनुपम प्रभाव वाले तीनों लोकों मैं आपके समान भी दूसरा कोई नहीं है ,फिर अधिक कैसे हो सकता है ,||…………………………………………………………………………. तस्मात्प्रणम्य प्रणिधाय कायम प्रसादये त्वमहमीशमीडयम | पितेव पुत्रस्य सखेव सख्युः प्रियः प्रियायार्हसि देव सोढूम || ……………………………………………………..अतएव हे प्रभो ‘मैं शरीर को भली भाँती चरणों मैं निवेदित कर ,प्रणाम करके ,स्तुती करने योग्य आप को प्रसन्न होने के लिए प्रार्थना करता हूँ | हे देव ‘ पिता जैसे पुत्र के , सखा जैसे सखा के ,और पति जैसे प्रियतमा पत्नी के अपराध सहन करते हैं ;वैसे ही आप भी मेरे अपराध को सहन करने की कृपा कर अनुग्रहित करें ,||……………………….ॐ शांति शांति शांति ,,

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