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यह क्या.. योग ”मेड इन इंडिया” हो गया ..(१)

PAPI HARISHCHANDRA
PAPI HARISHCHANDRA
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मोदी जी का तो मेक इन इंडिया था | किन्तु फिर योग जाने अनजाने मेड इन इंडिया सफल हो गया | यह तो कांग्रेस का था | …..कांग्रेस के प्रोडक्ट परमाणु विष्फोट को वाजपेयी जी ने भुनाया तो योग को मोदी जी ने … ………….दुनियां मैं कोई भी प्रोडक्ट तैयार किया जाता है तो उसके मार्किट का अध्यन किया जाता है | फिर संभावनाएं तलाश की जाती हैं | फिर उसकी मार्केटिंग की जाती है | और अड्वर्टाईजमेंट करके आकर्षित किया जाता है | फिर तैयार मॉल का विशेष स्थान पर ट्रॉयल सेल किया जाता है | फिर एक साथ मॉल को झोंक दिया जाता है | फिर ऑफ्टर सेल्स सर्विस का भी प्रावधान होता है | वारंटी , गारंटी आदि भी दी जाती है | …………………………………………………………………………………………..भारतीय ज्ञान विज्ञानं हिन्दू सनातन धर्म के वेद ,उपनिषद ,आदि की उपज है | कहा जाता है की आजकल विकशित सम्पूर्ण साईंस जर्मनियों ने वेद उपनिषद के ज्ञाताओं से छल कपट से प्राप्त की | क्यों की कोई भी सच्चा ज्ञानी गुरु कभी भी कुपात्र को अपना ज्ञान नहीं देता था |जर्मनियों ने पाहिले अपने को सात्विक बनाया | फिर शरणागत हो विद्वानों की सेवा भक्ति की | तब कहीं संस्कृत ज्ञान और उनके भाष्य से पूर्ण अणु परिमाणु जैसी विद्या हासिल की | जो धीरे धीरे विज्ञानं के रूप मैं विकशित होती गयी | ……………..योग भी एक ऐसा ही ज्ञान था जो कभी किसी ज्ञाता ने कुपात्र को नहीं दिया | यहाँ तक ब्राह्मण के अलावा भी उसे पाने मैं छल कपट ही करते थे | न ही योग साधारण जन के वश का था वे घबराकर दूरी बना लेते थे | यदि छल का पता चल जाता था तो उसे सजा दी जाती थी ,जिससे अन्य कोई कुपात्र हिम्मत न करे | ……………………देश आजाद हुआ हिंदुस्तान ,पाकिस्तान बने हिन्दू सस्कृति लहलहाने लगी | योग के प्रताप को दुनियां जानने लगी | समय की धारा देखते कांग्रेस ने भी योग के विस्तार मैं भरपूर सहयोग किया | ………………...विश्व ,चमत्कार और शांति की चाहत मैं योग से प्रभावित होता गया | जिसको योगियों ने भरपूर व्यावसायिक दोहन किया | योग विकता रहा योगी बैंक उपजते रहे | अपनी करेंसी तक बना ली | योग जैसे भी विका वैसी वैसी स्तिथियाँ बना ली गयीं | ….…………….एक ऐसा प्रोडक्ट जो व्यवसाय की तरह उद्योग बन गया था | कांग्रेस सरकार उसे बेचने की मान्यता हिन्दू धर्मलम्बियों के विरोध से नहीं कर सकती थी | तब तक मान्यता भी यही थी की हमारे हिन्दू संस्कृति विदेशियों की खिलौना न बने | ……………………………………………………..मोदी युग आया ,विकास सर्वोपरि माना ,मेक इन इंडिया का नारा हुआ | गुजरात सी व्यावसायिक बुद्धि विकसित हुयी | योग मैं अपार संभावनाएं नजर आईं | ……………………………………….कांग्रेस की व्यसायिक बुद्धि पर तरस आया ,कैसे इतना पूर्व प्रचारित ,और विक्ने वाले प्रोडक्ट को स्क्रेच मैं डाल रखा है | ………………………………………….योग से राजा बने योगियों की कूटनीतियां चली | अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस घोसित हो गया | और पूर्ण साज सज्जा के साथ गिनीज बुक मैं दर्ज होते मार्केटिंग से सिक्का जमा लिया | …………………..अब सम्पूर्ण विश्व मैं योग संस्थान खोले जायेंगे जो सरकारी अनुशासित भी होंगे और व्यावसायिक प्राईवेट भी होंगे | ….उनके प्रचार प्रसार के लिए नए नए आकर्षण प्रयोग भी होंगे | एक ऐसा उद्योग जिसमें लागत न के बराबर | ……………………………………………..अंगरेजी सीखो ,बचपन से योगाभ्यास करते रहो | जवान होते होते विदेश मैं योग केंद्र खोल लो | धन नहीं भी है तो योग गुरु बन कर विदेशों मैं राज करो | …………अगर कुछ नहीं कर सकते तो भी योगी बन जाओगे | ………………………………२१ वी सदी आने से पाहिले विदेशों मैं आई कम्प्यूटर ज्ञानियों की डिमांड से खुले प्राईवेट कम्प्यूटर इंस्टिट्यूट यही सपना दिखाते युवाओं को लुभाते धन बटोर रहे थे | तब प्राईवेट इंजिनीरिंग कॉलेज न के बराबर थे | …………………………………..वही सपने अब योग गुरु बनते युवा देखने लगे हैं | …..पूर्व स्थापित योग गुरुओं की तो मान सम्मान और धन वर्षा सहित जय जय कार होगी | ……………..देव गुरु बृहस्पति और असुर गुरु शुक्राचार्य भी इनके मान सम्मान और धन वर्षा देखकर इर्षा करेंगे | ………………………………………………………………………………………लेकिन किसी भी उत्पादक या मार्केटर के साथ यह भी संभावनाएं रहती हैं की वह उन डुप्लीकेट प्रोडक्टों से कैसे बचते अपने प्रोडक्ट बेचे | क्यों की डुप्लीकेट हूबहू होते हैं और उनका मूल्य भी तुलनात्मक काफी कम होता है | और होम डिलिवरी जैसी आकर्षक सुविधाएँ भी दी जाती हैं | ……………………………………………………………………………………….ऑफ्टर सेल्स सर्विस भी प्रोडक्ट की सफलता के लिए जरूरी होता है | योग भी यही प्रचार कर आकर्षित किया जाता है की इसको करने से निरोग रहते हैं | या किसी रोग विशेष मैं लाभ करता है | किन्तु यदि योग गुरु की लापरवाही या साधक की असावधानी से उसे लाभ की बजाय हानि हो जाती है | तो उसकी क्या गारंटी या वारंटी होगी | ………………………..योग का मुख्य उद्देश्य शांति पाना है | विदेशी केवल शांति चाहता है जिसके लिए वह धन लुटाने से संकोच नहीं करता है | वह शांति उसे नहीं मिल पाती है तो ….| …………………………………………………………………………………..शांति तो वह आभास है जो सनातन धर्मी योगी भी नहीं प् पते | अशांत योगी नारद मुनि भी तीनों लोकों मैं भटकते युगों विता चुके हैं | योगी तो काम क्रोध ,मद लोभ मोह से पर होते हैं किन्तु शांति फिर भी नहीं पाते हैं | फिर कैसे यह विदेशी जिनका आहार विहार सब दूषित होता है कैसे शांति प् पाएंगे | ……………………………………………………………………..एक योगी की भी तपस्या भंग करने को एक अप्सरा ही काफी होती है ,फिर आजकल के खुले काम युग मैं कैसे मन की भावनाएं संयमित कर पाएंगे | ……………………………………………….ऋषि मुनियों की तपस्या भंग करने के लिए अप्सराओं को भेजा जाता था किन्तु अब तो योगी बनने की चाहत लिए साधक उन केन्द्रों मैं ही ज्यादा जायेंगे जहाँ अप्सराएं योग कर रही हों | …………………………………योग का पहला कदम ब्रह्मचर्य अब मार्ग से हटा दिया गया है अब समाधी सम्भोग से भी पाई जा सकती है | इसके सफल प्रयोग हो चुके हैं और हो रहे हैं | ……………………….सम्भोग से समाधी का सुगम मार्ग मैं भी प्रोडक्ट को..फेल करने के प्रयास किये गए | और बिरोधी सफल भी रहे | …पूनम पाण्डेय का योग या अन्य अप्सराओं के नग्न योग क्या इस आधुनिक योग को नया मार्ग देंगे …? या ऐसे योगों का उपयोग मोदी जी के योग आंदोलन को असफल करने के लिए विपक्षी करेंगे | क्या योग भी सम्भोग से समाधी तक की तरह अपने घर वापसी करेगा …? या सिद्ध योगियों से संसार भर जायेगा …? ………………………योग का लक्ष्य परमात्मा प्राप्ति नहीं अपने लक्ष्य को पाना है | लक्ष्य कुछ भी हो सकता है | शरीर को स्वश्थ रखते संयमित हो शांत मन से लक्ष्य पाया जा सकता है | बस योगासन करो …कर्म योगी बनो अपने लक्ष्य को पाओ ……| यही सुगम योग की परिभाषा होगी | ……………………………………………………………………………सुगम योग ही चल सकता है ,…………………………………………..शांति पाने का स्थाई आध्यात्मिक योग के मार्ग को पाना कठिन है ……क्या है आध्यात्मिक योग ……?    …. प्रमुख अंग …….ब्रह्मचर्य से आरम्भ हो कैसे पाया जा सकता है …..? ………………अगले अंक मैं ….क्रमशः …………………………………………………………………….ओम शांति शांति शांति

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