यह सत्य है दीपिका को पद्म विभूषण से सम्मानित किया जाना चाहिए | किस लिए एक्टिंग के लिए …? उत्तम अदाओं के लिए ..? या महान खिलाड़ी की संतान होने के लिए …? या एक साश्वत सत्य के लिए …? शायद सास्वत सत्य के लिए ही दिया जाना चाहिए …?…| ……………….सेक्स एक साश्वत सत्य ही है |….………………………………… सत्य एक क्रोध भी है …? एंग्री यंग मैन की भूमिका वाले अभिनेता को भी उनके सत्य क्रोध पर ही पद्म विभूषण जैसे सम्मानित किया गया | परशराम ,विश्वामित्र को को भी उनके साश्वत सत्य के लिए ही सम्मानित किया जाता रहा था | अमिताभ बच्चन से पाहिले कौन क्रोध के सत्य को समझ पाया था ,क्रोध के अभिनय को फिल्मों मैं दिल खोलकर परोसा जाने लगा | आज जितनी भी फिल्म हस्तियां अपने को स्थापित कर पाई हैं वे सब अमिताभ का शुक्रगुजार अवस्य होंगी | समाज मैं भी क्रोध करना एक सम्मानित व्यक्ति की पहिचान बन गयी | जिसने क्रोध नहीं किया वह वे मौत मारा जायेगा यही सत्य का सन्देश देकर समाज को मार्ग दर्शन मिल ही गया | गीता मैं भगवन श्री कृष्ण क्रोध को लाख बुराईयों ,पापों की जड़ कहते रहे ,कौन उनकी बकवास को समझ पायेगा | सत्य सत्य ही होता है ,सत्य प्रकृति होती है प्रकृति विरुद्ध रहने वाला पापी ही कहलाता है | .जिस को बकवास नहीं माना जाता वही तो मधुशाला होती है | …………………………...सत्य एक गंदे व्यवहार करने वाले विलेन को भी माना जाता है .जिसके बिना समाज मैं अभिनेता .अभिनेत्री अपनी गरिमा स्थापित नहीं कर पाती हैं | नेता भी अपनी नेतागीरी तभी स्थापित कर पाता है जब वह अपनी चाणक्य बुद्धी से किसी को विलेन सिद्ध कर देता है | यह सब कुसलता से अभिनीत करने वाले प्राण को भी उनकी साश्वत सत्य विलेन के लिए ही पद्म सम्मान दिए गए | विलेन के रूप मैं मन भावन मार्ग दर्शन ही तो किया प्राण ने | सम्मानित न करते तो कैसे समाज विलेन की भूमिका कुशलता से आत्मसात कर पाता | तभी तो हमारे देश के हीरो ,हीरोइन ,नेता आदि मार्ग दर्शन पा सके | ……………………………...अब कलियुग है ,कलियुग सत्य का बोध करता है || काम, क्रोध ,मद ,लोभ मोह भी समाजबादी व्यवस्था मैं लोकतान्त्रिक ढंग से सम्मान पा सकते हैं | ….………………..गर्मी को ठंडा करने के लिए कूलर ,पंखे ,A .C आदि लगाये जाते हैं वैसे ही काम(सेक्स ) को एक सत्य मानकर ही विदेशों मैं वेश्यालयों को लायसेंस दिया जाता है ताकि समाज ठंडा रहे | इस सत्य को भारत क्यों नहीं समझ रहा है यही तो मार्ग दर्शन दीपिका की चॉइस मैं है | झूठ का मुखौटा लगा कर समाज को पथ भ्रष्ट न करने का साहस आखिर दीपिका दीप जला कर कर ही दिया है | समाज मैं दो तरह के मुखौटे लगाना सत्यवादियों को नहीं सुहाता है | हरिश्चंद्र सत्य के लिए समशान की चौकीदारी करने से भी नहीं चूकता है | सत्य ही धर्म है चाहे पापी ही क्यों न सिद्ध कर दो | भय बदचलन ,या पूर्व घोषित घनघोर मार्ग बता कर भयभीत ही क्यों न कर दो | ………………....समाज मैं तीन तरह की स्त्रियां होती हैं | उच्च वर्ग ,माध्यम वर्ग , निम्न वर्ग ..| उच्च वर्ग और निम्न वर्ग की स्त्रियां अपने मुखौटों पर दुहरा रूप नहीं लगाती हैं | वे सत्य की निष्ठां से सामना कर सकती हैं | माध्यम वर्ग की स्त्रियां ही दोहरे रूप से समाज को भ्रमित करती रहती हैं | जप ,तप ब्रत ईश्वर का भजन आराधना करते हुए ,अपने प्राकृतिक धर्म को निभाना पड़ता है | वे दीपिका की तरह साहसिक मार्ग नहीं निभा पाती हैं | तभी तो वे किसी विभूषण की पात्र नहीं हो पाती | ……………………..दीपिका के पास तो सूर्य सी दीप रोशनी प्रज्ववित हो रही है ,जिससे वह लोक मैं उजाला कर सकती है | वह खोकर भी और रोशनी से प्रज्वलवित होती जाएगी | दीपिका कैसे पथ भ्रष्टक हो सकती है | सत्य कभी भी पथ भ्रष्टक कैसे हो सकता है ..? काम (सेक्स ) एक सत्य ही है जिस पर संयम ब्रह्मा ,विष्णु महेस , इंद्रा ,कृष्ण भी नहीं रख सके | तो साधारण कलियुगी मनुष्य की क्या औकात है | कहाँ कोई स्त्री अपने आप को बचा पाती है ,घर मैं भाई , पिता , चाचा , पड़ोसी , स्कूल , कॉलेज , कार्य स्थल कहाँ कहाँ अपने को बचा कर रखे | जब कहीं भी अपने को सत्य से दूर नहीं रख पाती है तो क्यों नहीं आत्मोद्धार करके मन को शांति प्रधान करे | सत्य का मार्ग ही तो है यह भी | प्रकृति विरुद्ध तो नहीं | क्यों नकली मुखौटा धारण किया जाये | सत युग की तरह शापित सीता ,सावित्री ,अहिल्या नहीं है आज की नारी ……अब कलियुगी शक्ति है नारियों मैं ,जिस को पुरुष भोग कर आनंदित हो सकते हैं उसे भोग कर नारियां क्यों नहीं आनंद अनुभव करें |असंतुष्ट पुरुष शांति मार्ग पर स्वेच्छा से भोग सकता है तो क्यों नहीं असंतुष्ट नारी ,या कुछ नया अनुभव करने के लिए शांति मार्ग अपना सकती है | अशांत मन विकास मैं बाधक होता है | शाप देना अब नारियों को भी सुगमता से आ गया है | नारी सशक्त हो रही है | उसे साहस से सत्य मार्ग पर चलने से कोई नहीं रोक सकेगा | दीपिका जी सत्य का मार्ग भय अवश्य देता है किन्तु अंत मैं सत्य की ही जीत होती है | कोई कितना भी भयभीत क्यों न करे सत्य मार्ग से डिगना नहीं | ………….अपने से पूर्व की अभिनेत्रियों के हश्र से घबराना मत | कोई कैसे पत्नी स्वरुप मैं स्वीकारेगा ,स्वीकार भी लेगा तो कैसे निभाएगा | नाते रिश्तेदारों मैं कैसे मुंह दिखाऊँगी ,ईश्वर का भय ,बुरे कर्मों का भय ,कहीं नरक गामी न हो जाऊँगी ,होने वाली संतानों को क्या आदर्श दिखूंगी ऐसे अनेक भूतों से जलने वाले लोग भयभीत करते रहेंगे | एक नारी सशक्तिकरण का आदर्श , मर्यादा स्थापित करने वाली नारियों मैं आपकी स्वर्णाक्षरों मैं स्थापना आपका राह देख रही है | आपका लक्ष्य इस पर ही होना चाहिए | ………………………..अब सीता ,सावित्री ,अहिल्या ,तुलसी जैसे नाम नहीं रखे जाते हैं इसलिए भूल जाओ उस युग को | अब माता पिता भी इस सत्य को जानते मोबिल से ,नेट से चाटुकार करने की खुली छूट देते हैं | स्कूल ,कालेज ,कार्य स्थलों मैं पाहिले ही दिन से अपने अपने जोड़ीदारों की तलास तड़पाती रहती है ,जब तक आत्म शान्तिकारक अहसास नहीं हो पाता | ………………………………………………………………………….ओम शांति शांति शांति
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