होली पर कुछ भी कार्टून बना दो किसी का भी बना दो ,कोई बुरा नहीं मानता यदि मानता भी है तो होली है कहकर और भी शर्मिंदा कर दिया जाता है | इसलिए कोई भी बुरा मानने की जुर्रत नहीं करता ,और दूसरे का कार्टून बनाने की जुगाड़ मैं लग कर उल्लसित हो जाता है | अपने आप अपने को भी कार्टून बना कर खुसी जाहिर की जाती रही है | ‘आजतक’ की म्हणता से पैदा ”सो सॉरी” को तो होली के आदि और अंत मैं भी होली सा अहसास करने की महारत हासिल है | होली पर सड़कों गलियों मैं गुजरते बाल्टियों से रंग और पानी कीचड पड़ जाना आम बात होती है और बुरा भी नहीं मानना पड़ता है …”.होली है” के शोर सुनायी पड़ जाते है यदि निशाना सटीक पड़ जाता है | होली के अवसर पर ” होली है ” कह देना ही ”सो सॉरी” मान लिया जाता है | …………………………………………….. वीटो पावर प्राप्त ”आजतक” का ”सो सॉरी” तो मोदी जी का भी हाथ मैं झाड़ू लिए कार्टून बनाते गाना गाते गलियों मैं सफाई करवा देता है ,और सशक्त महिला का उल्लसित कूड़ा भी उनके ऊपर डलवा देता है | ……..होली है …और खुसी से झूम उठे मोदी जी सो सॉरी ……सो सोर्री ….के गुणगान करते रह जाते हैं | एक महान व्यक्ति का गुणगान से उल्लसित आजतक तो नंबर बन से भी हजारों ऊपर खुसी से पागल हो बार बार समाचार बनाता जा रहा है …| आखिर कौन अपनी संतानों को मिले प्रोत्साहनों पर नहीं झूम जायेगा | यह होती है होली की महिमा |……..| …………….. एक सभ्य जान की यही भाषा होती है ..”.सो सॉरी .”.…कुछ भी कह दो कुछ भी कार्टून बना दो ,बस ”सो सॉरी” कह दो सब कुछ माफ़ होता है | कितनी भी बड़ी हस्ती क्यों न रही हो वह बुरा नहीं मानेगी, अगर अपने ”सो सॉरी” कह दिया | यह शब्द अंग्रेजों का है अंग्रेज सभ्य माने जाते हैं | उसी सभ्य समाज के शब्द ”सो सॉरी” को ‘आजतक’ ने अधिग्रहित करके किसी के भी आत्मसम्मान को चार चाँद लगाने का लाईसेंस प्राप्त कर लिया है | भूतपूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी को तो पूर्ण विश्राम तक दिला दिया | बर्तमान प्रधानमंत्री तो इनके अब भी चहेते हैं | सोनिया गांधी जी ,राहुल गांधी जी ,अरविन्द्र केजरीवाल जी ,लाल कृष्ण आडवाणी जी ,मायावती जी या मुलायम सिंह जी ,लालू यादव जी ,जयललिता जी ,ममता बनर्जी जी ,जैसे सभी तो नाचते नजर आ गए हैं | रामदेव जी तो एक चाणक्य रूप से अपना स्थान मुख्य समाचार मैं सुरक्षित कर चुके हैं | दर्शक अपने चहेते या अनचाहे नेताओं के चार चाँद लगते फूले नहीं समाते हैं | …………………………...देखा देखी अन्य चॅनेल्स ने हिम्मत की | लेखकों ने हिम्मत की | बच्चों ने स्कूल कॉलेजों मैं मैगजीनों मैं हिम्मत की और अपने अपने स्टैण्डर्ड के अनुसार चार चाँद लगाने लगे | लेकिन ”सो सॉरी” कहना भूल गए | उसी के परिणाम स्वरुप अरविन्द्र केजरीवाल जी तो जेल के बैकुंठ आनंद खा आए | स्कूल कॉलेज के बच्चे भी जेल की हव्वा खाते नजर आ रहे हैं | सारे दिन आजतक शिक्षा देता रहता है कि कुछ भी कहो ,कुछ भी दिखा दो किन्तु ”सो सॉरी” अवश्य बोलो किन्तु क्या किया जाए , आजकल बच्चे अपने को महा ज्ञानी समझने लगे हैं | माता पिता की तो सुनते ही नहीं ,अपने गुरु को भी हीन समझते हैं | किन्तु आजतक को तो नंबर वन समझते सम्मान देना चाहिए | ”सो सॉरी” का दिन भर जप करते रहने पर भी यदि जेल जाते हो तो अहंकारी ठीठ ही हो | अरविन्द्र केजरीवाल जी तो जेल का सुख भोग चुकने के बाद भी अपने अहंकार के कारन ”सो सॉरी” कहने को राजी नहीं हो रहे हैं | और तो और एक शिक्षिका भी ‘सो सॉरी’ नहीं कहने के कारन अपनी नौकरी गँवा चुकी है | …………………………………………………………………………..संयुक्त राष्ट्र संघ मैं कुछ ही चुने देशों को बीटो पॉवर की शक्ति होती है | ऐसे ही हमारे देश मैं भी सिर्फ आजतक को ही यह बीटो पॉवर हासिल है | उसकी देखादेखी क्यों अपना सुख चैन ख़राब कर रहे हो | बीटो पॉवर प्राप्त के ”सो सॉरी” से ही अपनी मानसिक भड़ास शांत कर लो | याद रखो अब पुरानी घिसी पिटी कमजोर प्रधानमंत्री की मिलीजुली कमजोर सरकार नहीं है | एक सशक्त शेर से दहाड़ते प्रधानमंत्री की सशक्त सरकार है | पहिले प्रधान मंत्री जी मौन रहा करते थे इसलिए आम जन बोल सकते थे | अब प्रधानमंत्री मौन भी नहीं हैं बल्कि सबकी बोलती भी बंद कर देते हैं | अब सिर्फ शांति से कक्षा मैं एक क्षात्र की तरह सुनो ,तभी कुछ हासिल कर सकोगे | यहाँ वाणी पर लगाम देना जरूरी होगा | कुछ दिन भूल जाओ विपक्षी नेताओं की तरह कि कुछ बोलना कार्टून बनाना ,व्यंग करना है | वर्ना आशाराम जी के साथ बैकुंठ मैं सत्संग कर उद्धार करोगे | ……………….………………………...ओम शांति शांति शांति
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