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किशन(अन्ना हजारे ) शरण जाओ, अहंकार त्यागो ,अरविन्द्र केजरीवाल रुपी अर्जुन………….

PAPI HARISHCHANDRA
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अन्ना हजारे के दो भक्त अरविन्द केजरीवाल और किरण बेदी अपने गुरु के मार्ग से भटकते राजनीती मैं डूब चुके हैं | यही नहीं वे दिल्ली चुनाव महाभारत मैं एक दूसरे के आमने सामने हो चुके हैं | दोनों पथ भ्रष्ट हो चुके शिष्य अपने गुरु का सामना करने की हिम्मत भी नहीं जुटा पा रहे हैं | अहंकारी अरविन्द्र केजरीवाल को मैंने किशन (अन्ना हजारे ) का आशीर्वाद पाने की सलाह दी , किन्तु उनका अहंकार ने शरणागत नहीं होने दिया और बुरी तरह हारे | किशन के विना कैसे अर्जुन युद्ध जीत सकता है ,जबकि दूसरी ओर कौरवों की भयंकर सुसज्जित सेना और महारथी हैं | डरते डरते किरण बेदी ने फोन से आशीर्वाद मांगना चाहा किन्तु पथ भ्रष्ट हो चुकी किरण को कैसे आशीर्वाद मिलता जब की अब भी वह अहंकार मैं डूबी है | एक शिष्य को यह भी गंवारा नहीं हुआ कि अपने गुरु का आशीर्वाद लेने उनके चरणों मैं जाया जाता है न कि फोन पर ..| खैर, किरण तो कौरवों की महान योद्धाओं की सुसज्जित सेना का साथ पा चुकी है उसका अहंकार तो उचित ही है | किन्तु अर्जुन से अरविन्द्र केजरीवाल किस अहंकार मैं हैं | अपना मुंह आयने मैं ही देख लें तो कुछ अपनी औकात नजर आ ही जाएगी | नारद मुनि को तो अपना बन्दर का मुंह नजर आ ही गया था | ………..इसलिए अरविन्द्र केजरीवाल जी आपके पास तो सिर्फ किशन ही हैं उनसे क्षमा प्रार्थना करो ,दंडवत प्रणाम करो ,नाक घिसो जब तक आशीर्वाद प्राप्त न हो जाये | फोन पर नहीं उनके घर पर सारे मीडिया के साथ | जल्दी करो कहीं देर न हो जाये | कौरवों की सेना की दुर्योधन पहिले आशीर्वाद न पा ले ,और आप फिर चौराहे पर खड़े रह जाओ | किशन के तो प्रिय भक्त अर्जुन ही रहे थे | इसलिए इस दिल्ली महाभारत मैं भी शायद अपना आशीर्वाद अर्जुन को ही देंगे | मान अपमान हिचकिचाहट सब भाड़ मैं डाल दो ,यह राजनीती है राजनीती सीखो | यह मत भूलो कि तुम दो बिल्लियों (किशन भक्तों) की लड़ाई मैं एक बन्दर भी घात लगाये बैठा है | जिस रोटी के टुकड़े (मुख्यमंत्री पद ) के लिए तुम लड़ रहे हो कहीं वह कांग्रेस न झपट ले जाये | बन्दर का लक्ष्य सिर्फ रोटी है,तुम्हारा ध्यान लड़ाई पर है | एक निर्णायक जीत के लिए किशन की शरण मैं जाओ | बरना होना यही है ढाक के तीन पात.…..सरकार फिर किसी की नहीं बनेगी | …………………….होगी टाएं टाएं फिस्सह ………………………………………………………………………………………. महाभारत युद्ध से पहिले कृष्ण भगवन के दो भक्त अर्जुन और दुर्योधन उनसे युद्ध मैं सहायता के लिए उनके पास पंहुचे ,कृष्ण सो रहे थे | अर्जुन कृष्ण के पैरों की तरफ पर बैठ गए ,और और अभिमानी दुर्योधन सर की तरफ बैठ गए | जब कृष्ण की नींद खुली तो उन्होंने पाहिले अर्जुन को देखा फिर दुर्योधन को | दोनों के आगमन का कारण जानने पर कृष्ण ने पहिले अर्जुन को याचना का अवसर दिया क्यों की उन्होंने पाहिले अर्जुन को देखा था | भक्त अर्जुन ने केवल कृष्ण का साथ माँगा | जबकि दूसरी और सुसज्जित सेनाएं थी | दुर्योधन अर्जुन की मूर्खता पर हंसा था | किन्तु उसे क्या पता की अकेले कृष्ण ही युद्ध के जिताने वाले होंगे | ……………………...लोक सभा चुनाव से पहिले मैंने आपको अपने ब्लॉग मैं चेता दिया था ………...किशन विना शून्य ही हो ..अहंकार त्यागो ,अरविन्द्र केजरीवाल रुपी अर्जुन……………..
भगवन किशन को गीता मैं दसवे अध्याय तक सशंकित अर्जुन को जब भगवन किशन ने विराट रूप दिखाया तभी अर्जुन ने भयभीत होकर किशन की वास्तविक शक्ति को समझा और नतमष्तक होकर युद्ध को अकेले किशन की शक्ति से जीता | कौरवों के , संसार के महानतम योद्धा व सम्पूर्ण राजाओं का समर्थन ,भयकर विशाल सेना भी पाडवों को परास्त न कर सकी |…………………………………………………………………………जवाहर लाल नेहरू ने भी अपने किशन , महात्मा गांधी को पहिचाना और अग्रेजों को परास्त करते ,महानतम नेताओं

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को परास्त करते प्रधान मंत्री पद पाया और उन्हीं के नाम से निष्कंटक राज्य भोगा | जय प्रकाश नारायण रुपी किशन को भी पराजित अपमानित नेताओं ने ,पार्टियों ने समझा और सत्ता पायी | ……………………………………..अरविन्द्र केजरीवाल की विजय श्रीगणेश यात्रा भी किशन अन्ना हजारे के ही प्रताप से हुयी | किन्तु अचानक मिले इस विजय से अरविन्द्र केजरीवाल का अहंकार ग्रस्त हो जाना पतन की ओर ले जा रहा है | शायद अरविन्द्र केजरीवाल को भी अर्जुन की तरह अपनी विद्वता व राजनीती पर ,रणनीति पर अहंकार हो गया है | शायद इसी लिए वे किशन को तुच्छ समझते उजुल फिजूल कार्य कलापों से भ्रमित होते जनता को भी भ्रमित कर रहे हैं | उनकी नजर मैं किशन एक रिटायर्ड साधारण व्यक्ति बन चूका है | जिसको सम्मान देना सलाह लेना ,जनता के सामने सम्मान देना वेवकूफी लग रही है | हे कलियुगी अर्जुन कलियुग मैं भी किशन के विना तुम युद्ध नहीं जीत पाओगे | न ही सम्मान पा पाओगे | मीडिआ मैं बने रहकर अपनी शक्ति पर भ्रमित हो चुके हो | कपिल के लाफ्टर शो की तरह लोग सिर्फ मनोरंजन ही कर रहे हैं जिसको तुम अपनी शक्ती मान रहे हो ||…………………...अगर आप को कुछ पाना है युद्ध जीतना है तो जिस किशन के आशीर्वाद से पराक्रम प्रभाव से शक्तिमान महसूस कर रहे हो उसकी शरण मैं जाकर मीडिआ को दरसाओ | जवाहर लाल नेहरू ,विक्रमादित्य ,अर्जुन की तरह किशन की भक्ती मैं डूबते उनका आशीर्वाद ही सर्वोच्च मानो | उनके आशीर्वाद के विना पहिले तो कुछ पा ही नहीं सकते ,अगर जो कुछ पा भी लोगे तो स्थिर और सम्मान जनक न होगा | और बुलबुलों की तरह मिट जायेगा | किशन को भी एक माध्यम चाहिए अर्जुन के रूप मैं , अर्जुन को तो युद्ध करना ही है | विजय वहीँ होगी जहाँ किशन के साथ अर्जुन होंगे | गीता मैं कहा भी है ………………………………………………..यत्र योगेश्वरः कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धरः | तत्र श्रीर्विजयो भूतिर्ध्रुवा नीतिर्मतिर्मम ||……………………………………. जहाँ योगेश्वर कृष्ण हैं ,जहाँ गांडीवधारी अर्जुन हैं ,वहीँ पर श्री विजय,विभूति और अचल नीति है ……………………………………………………………………………………………यहाँ भी प्रचंड शक्तिशाली कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी को अगर परास्त कर सकोगे तो किशन के सारथी होने पर ही | जागो अहंकार त्यागो आम आदमी ही नहीं देश ही नहीं विश्व भी तुम्हारी विजय चाहेगा | अपने लक्ष्य को पाना ,भ्रष्टाचार का अंत ही है ,और लक्ष्य प्राप्ती के लिए किशन शरण आवश्यक है |.भ्रष्टाचार को मिटाकर धर्म की स्थापना ही किशन का लक्ष्य है ,जिसके कारक माध्यम , अरविन्द्र केजरीवाल रुपी अर्जुन तुम ही हो | किशन को विराट रूप दिखाने को मजबूर मत करो |…………………………………………………………..ॐ शांति शांति शांति |

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