एक संसदीय क्षेत्र मैं लगभग हजार गांव उनमें एक लाडला गांव चुने | क्या बाकि सब गांव वालों ने सांसद को वोट नहीं दिया | क्या अन्य गांव सौतेले हैं | विकास सर्वतोन्मुख होना चाहिए न की लाडले गांव का ही | आखिर पश्चिम बंगाल के सांसदों ने इस सत्य को पहिचान लिया | वे कैसे गाँवो के प्रति दुराव रख सकते | उनके लिए तो सब गांव एक ही दृष्टी से दीख रहे हैं | ४२ लोक सभा और16 राज्य सभा के सांसदों मैं केवल दो ने ही लाडले गांव बनाये हैं | असमंजस की स्तिथी हो गयी है सांसदों मैं | किस को प्राथमिकता दें किसको नहीं दें ,अगले चुनाव मैं फिर वोट भी तो मांगना होगा | किस मुँह से मांगेगे | दअसल राज्य की मुख्य मंत्री ममता बनर्जी ने इस योजना को नजर अंदाज करने को कहा है | राज्य के कांग्रेस के और सी पी एम के पांच पांच सांसदों ने भी साथ देते अभी तक कोई गांव गोद नहीं लिया | राहुल गांधी के अनुसार एक सांसद पांच साल मैं एक गांव ही विकसित कर पायेगा तो अन्य संसदीय गांवों को विकसित होने मैं कितना समय चाहिए | …………………………लोक तंत्र है भारत मैं जहाँ एक ही गुरु मन्त्र चल सकता है
…फिर कैसे कोई व्यक्ति संता गांव ,शहर ,राज्य लाडले हो सकते हैं | प्रधान मंत्री जी के तो सभी समान होने चाहिए | लोकतान्त्रिक तरीके से कोई भी सांसद चुना जाता है जिसको समस्त संसदीय क्षेत्र की जनता ,गांव , कशवे , या शहरी चुनते हैं | फिर क्यों एक ही चहेता बन जायेगा | …………………………………………….राज तंत्र मैं जब कोई राजा किसी व्यक्ति पर खुश हो जाता था तो उसे उपहार मैं अपने गले की कीमती माला ,या इनाम दे देता था | गांव ,शहर ,राज्य भी दान दहेज़ मैं दे दिए जाते थे | उपहार मैं मिले गांव ,शहर ,राज्य का भाग्य कि उसे कैसा मालिक मिलेगा | …………………………………………………………………………………लोक तंत्र मैं भाग्यशाली एक नहीं होना चाहिए सभी का विकास साथ साथ होना चाहिए | एक महल बना ले | राजसी बनता जाये दूसरा पिछड़ा रह जाये | सब कुछ एक ही गांव या शहर मैं झोंक देना अन्य लोगों मैं आक्रोश का कारन बन सकता है | सर्वतोन्मुख विकास से ही लोक तत्र की सफलता सार्थक हो सकती है | सड़क ,विजली ,पानी ,चिकित्सा , रोजगार ,शिक्षा किस गांव ,शहर को नहीं चाहिए | योजना ऐसी बने जो सबके काम की हो | ……………………………एक राजशाही अंदाज कि फलाने फलाने सांसद का आदर्श गोद लिया गांव है यह | लोक तंत्र मैं एक ही लाडला कैसे हो सकता है | हजार गांव मैं एक लाडला होकर चैन से जीएगा ,अन्य ९९९ गांव क्या करेंगे ….? कब उनका नंबर आएगा सोच सोच कर बूढ़े हो जायेंगे |सांसद का धर्म तो अपने सम्पूर्ण संसदीय क्षत्र को ही विकसित करना होना चाहिए न की लाडले गांव का | गांव को आदर्श बनाने का काम तो ग्राम प्रधान का ही होना चाहिए ,जो प्रधान का धर्म होना चाहिए फिर प्रतियोगिता से उनमें एक आदर्श ग्राम की घोषणा कर पुरष्कृत किया जाना चाहिए | भगवन तो सभी जीवों का यथावत समान ध्यान रखते हैं | किसी धर्म की कभी यह धारणा नहीं होती | यह जरूर है कि अपने प्रिय भक्तों की पुकार जल्द सुन लेते हैं भगवन | तो फिर क्या सब भारतियों ने भक्ति तन मन धन से मन लगा कर करनी चाहिए …? अधर्मी लोग भगवन के प्रभाव ,शक्ति को नहीं पहिचान पाते हैं | तभी तो दुखी रहते हैं |……………………………………………...ओम शांति शांति शांति
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