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धर्मान्धता का भूत क्यों नहीं फलेगा फूलेगा | हर धर्म को अपने धर्म को महान सिद्ध जो करना होता है ,| प्रतिद्वंदिता जो होती है राजनीतिज्ञों से पोषण जो मिल जाता है | इलेक्ट्रॉनिक मीडिया जो साथ हो गया है | कलियुग मैं सतयुग से भी ज्यादा धर्मान्धता का भूत आकार बड़ा चूका है |……………………...भारत की जड़ प्रकृतियों मैं से किसी को नष्ट या अलग किया जा सकता है यदि ऐसा संभव हो सका तो चेतन प्रकृति धर्म निरपेक्षता जीवित रह सकेगी | लोकतंत्र रुपी रक्त संचार रह सकेगा | पंच तत्व क्या भारतीय जीवों को अपनी और आकर्षित तो नहीं करने लगेंगे ..? | ……………………………1947 का लंगड़ा लूला भारत का भूत २०१४ का सशक्त विशालकाय रूप पा चूका भूत अभी और भी विकास करना चाहता है उसे विश्व गुरु भी बनना है | सब कुछ प्रकृति तत्वों को बनाये रखना होगा तभी विकास पाया जा सकेगा | …………………………………………………………………………………ओम शांति शांति शांति
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