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नकली लाल किले सा ”मजेदार दहाड़ता भाषण” नहीं बना …

PAPI HARISHCHANDRA
PAPI HARISHCHANDRA
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नकली लाल किले से दिया गया दहाड़ता भाषण …..अहा क्या मजेदार भाषण था | जनता तो उस भाषण का स्वाद महीनों तक क्या अब तक भी नहीं भुला पाई है | जनता तो जनता सत्तारूढ़ कांग्रेस भी स्तब्ध थी | जिस भाषण मैं मौनी मन मोहन का नादाँ राहुल गांधी का , विदेशी सोनिया गांधी का , नेहरू खानदान का गुणगान न हो वह क्या स्वाद पैदा करेगा | कांग्रेस के घोटालों से ओतप्रोत लच्छेदार होना एक अनोखा स्वाद पैदा करता था | लाल किले से दूसरा भासन अनुभव से और भी तीखा होने की सम्भावना थी | किन्तु निराशा ही हुयी | ऐसा लग रहा है शायद राजनीतिक मैत्री हो चुकी है | क्या क्या उम्मीदें थी जनता को ,कांग्रेस की ,मन मोहन की ,राहुल गांधी की ,सोनिया गांधी की कस कर बखिया उड़ाई जाएगी | कानून व्यवश्था को विगाड़ने वालों पर एक दहाड़ उनके हौसले पस्त कर देती | बलात्कारियों की पौरुषत्व क्षमता नपुंसकता मैं तब्दील हो जाती | भयभीत पुरुष का पुरुषत्व कभी नहीं जग सकता है | आतंकवाद की तो चीथड़े उड़ने की संभावनाएं थी | दहाड़ से ही तो आतंकवाद शांत हो सकता है | क्योंकि आतंकवाद की दहाड़ से भी भयंकर मोदी जी की दहाड़ सिद्ध हो चुकी है | ऐसी दहाड़ की उम्मीद थी की चीन और पाकिस्तान भी घुटने टेकते मिमिया जाते | बहुत अतिक्रमण करते ,सीज फायर करते नींद हराम कर राखी थी | साम्प्रदायिकता जो भारत का एक नासूर है अगर उस पर दहाड़ सुनायी देती तो शायद साम्प्रदायिक ताकतें मुंह छुपाने को मजबूर हो जाती | दहाड़ की उम्मीद लिए जनता को दहाड़ की ही चाहत थी वह भी ऐसी जो अंतरिक्ष तक सुनायी देती | अमेरिका के राष्ट्रपति क्या दहाड़ते हैं …| राम मंदिर पर तो भरपूर उम्मीद थी अबकी बन ही जायेगा किन्तु राम का नाम भी याद नहीं रहा | कितनी आशाएं लिए आशाराम अपनी तांत्रिक क्रियाओं द्वारा यज्ञ करते रहे की अब तो अच्छे दिन आ ही गए हैं प्रबचन करते होली खेलते जन्माष्टमी मना ही लेंगे किन्तु वे भी निराशा से घिर गए | जब राम ही याद नहीं रहे तो आशाराम कहाँ याद आते | राम राम …| कश्मीर से धारा ३७० ,.को हटाना कितना सुहाना लगता इस पर कुछ भाषते | एक ही कानून भारत के नागरिकों के लिए होता ,हिन्दू लॉ ,मुस्लिम लॉ नहीं ,इस पर कुछ छींक भी देते | इंडिया , भारत का नाम यदि हिंदुस्तान घोषित हो जाता तो पूरा देश हिन्दू मय कहलाता | दुनियां मैं ही नहीं हमारे देश मैं भी अपने संस्कृति के नाम रख लिए गए | वर्मा से म्यांमार कितना सुन्दर नाम बना | पूर्वी पाकिस्तान ,बांग्ला देश बना ….| कितना नयापन लगता खुशनुमा देश हो जाता | …………………………………कांग्रेस के अनुसार कुछ भी नया नहीं था इस भासन मैं | भाषण …नए खाताधारकों को एक लाख का बीमा तो पाहिले से दिया जा रहा था | नया यही कर दिया की खाताधारकों के परिवार का एक लाख का बीमा दिया जायेगा | क्या यह संभव होगा | नहीं होगा तो अलिखित भाषण की त्रुटि भी हो सकती है | ………………………………………..कांग्रेसी शायद यह सोच रहे होंगे की पिछले मन मोहन सिंह के भाषण को जो धोबी पैट से पीट पीट कर चीथड़े उड़ाए थे ,उसका बदला लेंगे | तो वे वेचारे भी निराशा मैं घिरते दीख रहे हैं | क्यों की ऐसा कुछ भी नहीं छोड़ा है जो नया हो | मन मोहन सिंह ,राहुल गांधी ,सोनिया गांधी ,के साथ साथ उनके चहेते ,उन पर हुए प्रहार से सहानुभूति रखने वाले भी क्या प्रतिउत्तर दे सकेंगे | एक तो दहाड़ सी आवाज भी नहीं है | खाली बरसात के मौसम मैं गला ही ख़राब होगा | ६० महीने हैं अगले चुनाव के ,अभी से क्यों गला ख़राब किया जाये | कुछ विद्वान इसको सिर्फ एक प्रवचन ही मान रहे हैं | ………योजना आयोग को बदलना ,शौचालय बनाना , मेक इन इंडिया …..इंडिया तो तेजी से मनुष्य ही बनाता है ,वही एक्सपोर्ट कर सकता है ,…..मेड इन इंडिया सिर्फ मैन ही मिल सकेंगे .मैन मेकिंग मैं इंडिया चीन को भी पीछे छोड़ने वाला है | ………………………………...”.विद्या ददाति विनयम ”..क्या मन मोहन सिंह जी कुछ तीखा प्रतिउत्तर देंगे | नहीं लगता की वे अपने स्वाभाव को बदलते कुछ तीखा बोलेंगे | क्यों की वे अपनी विद्वता को कभी अपमानित नहीं करेंगे | विद्वान व्यक्ति विनय शील हो ही जाता है | ………………………………………………………….. ओम शांति शांति शांति

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