विश्वामित्र ( राहुल गांधी )की तपश्या भंग करोगे क्रोधित ही होंगे
PAPI HARISHCHANDRA
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संसद मैं भी ध्यानमग्न रहने वाले राहुल गांधी जी ध्यान की महत्ता को जानते हैं | व्यर्थ अपनी शक्ति को मनसा, बाचा ,कर्मणा क्यों व्यर्थ किया जाये | महात्मा गांधी ने भी अपने बंदरों द्वारा कहा है बुरा मत देखो ,बुरा मत सुनो ,बुरा मत कहो ……| शारीरिक और आत्मिक शक्ति संचय हेतु ध्यान ही सर्वोत्तम माना गया है | आजकल तो बड़े बड़े औद्यौगिक संस्थानों मैं ,तक ध्यान कक्ष स्थापित किये जा चुके हैं | समझा यही जाता है की ध्यान के बाद कार्य क्षमता बढ़ती है | …..विश्वामित्र भी सदैव गायत्री मन्त्र का जप करते ध्यान मग्न रहते थे | इंद्रासन छिनने के भय से ,तब इंद्र को उनकी तपश्या भंग करने हेतु अप्सराओं को भेजना पड़ता था | भंग तपश्या होने पर क्रोध आना लाजिमी था | क्रोधवश वे भयंकर शाप तो दे ही देते थे | ध्यानमग्न शांत मन को क्रोध भी भयंकर आता है | कभी कभी भयंकर मारकाट तक हो जाती थी | पुनः शक्ति संचय करने के लिए फिर ध्यानमग्न होते गायत्री मन्त्र जपते तपश्या करनी पड़ती थी | ………………………………………………………………...गीता मैं भी भगवन कृष्ण ने ध्यान को सर्वोत्तम कहा है | ……………………………………………………………………………लोकतंत्र भी कैसा तंत्र होता है सदैव शांत प्रकृति वाले ध्यानमग्न राहुल गांधी जी ,महात्मा गांधी जी के उपदेशों का अनुसरण करने वाले व्यंग हाश्य के पात्र होते हैं | जिन गुणों से हमारे पूर्वज ,ऋषी मुनि ,वैज्ञानिक तपश्या से लोक हित करते रहे | उसे अवगुण सिद्ध करा जा रहा है | ………....कब तक क्रोध नहीं आएगा …? क्योंकि क्रोध के अवगुणों को राहुल गांधी जी बखूबी जानते हैं …………गीता के अनुसार …….क्रोध से अत्यंत मूड भाव उत्पन्न होता है ,मूढ़भाव से स्मृति मैं भ्रम होता है ,भ्रम होने से बुद्धी यानी ज्ञान शक्ति का नाश हो जाता है और बुद्धी का नाश हो जाने से वह अपनी स्तिथी से गिर जाता है |………………………………………………………..इसीलिये उन्हें क्रोध गिनती के चार पांच बार ही आया है | दस वर्षों से संसद मैं भी पीछे बैठते एकाग्र हो ध्यान साधना करते रहे | ………………किसी प्रकार के बुरे भाव मनसा ,बाचा ,कर्मणा नहीं लाये….. ….सत्ता लोभ भी उन्हें कभी नहीं रहा …| काम ,क्रोध ,मद ,लोभ ,मोह नरक के द्वार होते हैं यह उनकी नश नश मैं ज्ञान है | ब्रह्मचर्य जीवन वितते उन्होंने क्रोध विहीन ध्यान मग्न जीवन ही जीया | सत्ता का घमंड और लोभ कभी नहीं किया | लोक हित के लिए वे सदैव ध्यान मग्न रहे | इंद्रासन पाने के लिए विपक्षी सदैव उनके गुण को अवगुण सिद्ध करते रहे | अंततः सत्ता छीनने मैं कामयाब हुए | ………………. आतंकित जन मनुष्य अब त्राहिमान त्राहिमान करते इधर उधर भाग रही है | तब उनकी तन्द्रा एक बार फिर भंग हो गयी | उन्होंने संसद की पीछे की सीट त्याग दी और आगे की सीट मैं बैठते विपक्ष को अपनी रोद्र आँखों से भय भीत करना आरम्भ कर दिया | माँ सोनिया गांधी ने इसीलिये आगे बैठते मार्ग दर्शन करना आरम्भ कर दिया है ताकि कहीं फिर ध्यान मग्न न हो जाएँ | यही नहीं वे अपने रोद्र रूप मैं अध्यक्ष के आसान तक भी पहुँच गए | लोक कल्याण उनकी रग रग मैं बहने लग गया है | लग यही रहा है की क्रोधित विश्वामित्र एक बार फिर क्षत्रियों से विहीन पृथिवी की कल्पना कर रहे हैं | उनके प्रिय इंद्र का आसान छीनने वाले को तो वे अब नहीं छोड़ने वाले …| जिस तरह से एक मौन विद्वान बुजुर्ग ,इंद्रा का और शांत ध्यान मग्न गांधी भक्त का मान मर्दन करते इंद्रासन छीना ,अब उसी तरह से वह इंद्रासन वापस लाना ही उनका धर्म हो गया है | …………………………………………………………………….पिछले वर्ष स्वतंत्रता दिवस से राहुल गांधी के इन्द्र का जिस प्रकार मान मर्दन करते वर्तमान इंद्र (नरेंद्र मोदी ) ने श्री गणेश किया था | ठीक उसी प्रकार वर्तमान इंद्र के भी मान मर्दन का आगाज कर चुके हैं | अब १५ अगस्त पर लाल किले के प्राचीर से जो भी ध्वनी होगी उसी की प्रतिध्वनी वैसी ही होगी जैसी राहुल गांधी के इंद्र के लिए की गयी थी | अब ध्वनी प्रतिध्वनी पहाड़ों से टकराती गूंजती ही रहेंगी जब तक विश्वामित्र के इन्द्र का पुनः राज्यभीसेक नहीं होगा | ………...विश्वामित्र अब ध्यान मग्न ,तपश्या मैं नहीं दिखेंगे | उनके क्रोध को शांत करना अब साधारण मनुष्यों के वश का नहीं है | जब तक लोक कल्याण नहीं होगा वे शांत नहीं हो सकते हर बार यही हुआ है | ध्यान से अब कर्म क्षेत्र मैं कूदना ही होगा कृष्ण के आदेशानुसार युद्ध करना ही होगा यही विचार आया होगा |…………….…गायत्री मन्त्र का जप अब जनता ही कर रही है | भगवन करे जल्द ही वे अपने उद्देश्य मैं सफल हों उनका क्रोध शांत हो और वे पुनः ध्यान मग्न हों और जनता का गायत्री जप ओम शांति शांति शांति कहता रहे | ……………………………...ओम शांति शांति शांति |
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