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सुदामा(चाय वाला ) कहाँ छुप गया रे …..

PAPI HARISHCHANDRA
PAPI HARISHCHANDRA
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मनमोहन को तो उनके भक्त ही दिन मैं एक बार ही पोषाक बदलते थे | अब सुदामा किसी के लाचार नहीं | वे ब्रिक्स सम्मलेन मैं कई कई बार पोशाकें बदलते हैं | जहाँ जाते हैं नयी पोषाक मैं ही होते हैं | दुनियां भी तो जाने की अब मैं पुराना दीं हीं सुदामा नहीं हूँ | एक ही स्टेसन पर चाय बेचते समय गुजारा ,अब विश्व भ्रमण सामान्य हो जायेगा | जिस सुदामा को अमेरिका ,गरीब होने के कारण अपने यहाँ नहीं आने दे रहा था ,अब अपना आतिथ्य देने के लिए लालायित है | कृष्ण तुमने जो कुछ पुरुषार्थ किया सब सुदामा के नाम ही होता जायेगा | जग अब ,मन मोहन को विसरा देगा अब सुदामा का स्वरुप ही विश्व मैं छाता जायेगा | अब सुदामा की छवि दीन हीन कृष ,फटे कपड़ों की नहीं होगी | १०० द्वरिकाओं मैं अब चाय बेचना अपराध हो जायेगा क्यों की चाय बेचते लोगों से द्वरिकाओं की छवि ख़राब होगी | कृष्ण तुमने तो मथुरा ,बनारस ,अयोध्या को भुला दिया ,अब सुदामा ही उनको द्वारका बना देगा | गरीब अपने आप धक्के खाते रहें साधारण ट्रेनों मैं | सुदामा की जय जय कर तो बुलेट ट्रेनों से ही होगी | कृष्ण तुम जब ऍफ़ डी आई की बात करते थे तो सुदामा को गाली लगती थी | अब देखो कैसे सुदामा ऍफ़ डी आई से ही द्वारकाएं बनाएगा | बुलेट ट्रैन चलाएगा | सुदामा सी गरीबी अब भारतीयों मैं नजर नहीं आएगी | ……………………………………………………………………..बढ़ती मंहगाई ,उत्तराखंड के उपचुनाव मैं भारतीय जनता पार्टी की हार, एक बार फिर सुदामा की खोज करने लगी है | काश सुदामा एक बार फिर दहाड़ते आ जाते तो मंहगाई अपना सिर नहीं उठा पाती ,| उपचुनाव मैं कांग्रेस नहीं जीत पाती | भारत का हर चाय वाला सुदामा को कृष्ण के सिंघासन पर बैठते अपने आप को ही पा रहा था | किन्तु अब द्वरिकाओं से चाय ही गायब हो जाएगी तो चाय वाला ढूंढे से भी नहीं मिलेगा | अब दुनियां मैं कोई सुदामा नहीं रहेगा सभी कृष्ण हो जायेंगे इसी सपने को जाग्रत करने की आस मैं थे | अब कहाँ ढूंढें सुदामा को | भारत विकसित होने से पहिले चाय वाले की यह दुश्चिंता हो रही है | क्या होगा चाय वालों की आस का जब भारत १०० द्वरिकाओं वाला , बुलेट ट्रैन वाला देश बन चुकेगा | क्या चाय वाले को वहीँ किसी गरीब पिछड़े गांव ,कसवे मैं ही फटे पुराने रूप के सुदामा की तरह किसी कृष्ण को याद करना होगा या अपना पूर्व मित्र चाय वाला ही सुध वुध लेता आ जायेगा | कृष्ण के द्वापर से अब तक कितने सुदामा कृष्ण बनते रहे किन्तु कोई भी अपने पूर्व मित्र चाय वालों की सुध बुध नहीं लेता रहा | सुदामा की नयी उपज फिर किसी गळी नुक्कड़ पर या बस स्टेसन पर, रेलवे स्टेसन पर उग ही आती है | कृष्ण तो एक ईश्वर ही हो सकता है | सुदामा तो खरपतवार ही तो हैं किस किस को याद रखा जा सकता है | …………………………………………………………………………..…किन्तु चाय वालों की भी सोच साधारण ही होती है | जब कोई सुदामा कृष्ण रूप पा लेता है तो क्या चाय वालों की सोचेगा या देश विदेश के महान कार्यों पर ध्यान देगा | लेकिन पाकिस्तान सीज फायर कर रहा है | चीन अतिक्रमण कर रहा है | फिर क्यों मौन हैं | देश मैं भी महगाई बड़ रही है ,फिर क्यों मौन हैं | कानून व्यवश्था विगड़ रही हैं | हिंदी व अन्य क्षेत्रीय भाषी अपना हक़ मांगते आंदोलित हैं ,फिर क्यों मौन हैं | जनता एक बार फिर शेर की दहाड़ की ही उम्मीद कर रही है कि कब शेर जागेगा और इन सर उठाते जानवरों को शांत करेगा | जनता तो वेवकूफ होती है हर समश्या का हल दहाड़ ही समझती है | किन्तु क्या किया जाये अब दहाड़ की आदि हो चुकी है | ……………………………………………….अन्य कोई कारन तो नहीं जगाया जाता किन्तु उत्तराखंड मैं उपचुनाव मैं हार से सबक लेते जगाना ही होगा या ढूंढ़ना ही होगा | अन्य राज्यों के चुनाव भी सर पर आते जा रहे हैं | भारतीय जनता पार्टी को सुदामा को एक बार जल्दी जगाना ही होगा | ओम शांति शांति शांति का जप करते विपक्ष को हावी नहीं होने दिया जायेगा | एक बार फिर १५ अगस्त पर दहाड़ अवश्य सुनायी देगी | अबकी लाल किला असली होगा | कोई माया जाल नहीं होगा | भगवन बने सुदामा नयी लुभावनी पोशाकों मैं दहाड़ते दर्शन दे ही देंगे |………………………………………………..ओम शांति शांति शांति

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