Menu
blogid : 15051 postid : 763679

वैदिक शांतिपाठ ….हल बांग्लादेश हो सकता है तो कश्मीर क्यों नहीं …?

PAPI HARISHCHANDRA
PAPI HARISHCHANDRA
  • 216 Posts
  • 910 Comments

चाणक्यों की प्रतिस्पर्धा मैं एक चाणक्य की पहल से उपजे विवाद के पंडित वेदों के ज्ञाता ,महान अनुभवी पत्रकार ”वेद प्रकाश वैदिक ” वेद के प्रकाश वैदिक ही होते हैं | कुछ वेद प्रताप भी मानते हैं | वेदों का प्रकाश हो या प्रताप हैं तो वैदिक | वेदों के प्रकाश से प्रताप पा चुके वैदिक अब शायद अलग थलग हो चुके हैं | किन्तु उनका वैदिक ज्ञान उपमहाद्वीप मैं अवश्य शांति ला सकेगा | यही विचार कर ही चाणक्य ने वेद ज्ञान पर शास्त्रार्थ छेड़वा दिया है | कितना सुगम चाणक्यीय मार्ग चुना है शास्त्रार्थ का | शास्त्रार्थ भी उपमहाद्वीपीय न होकर सम्पूर्ण विश्वव्यापी होने की सम्भावना पैदा कर देगा | कौन करता इस घिसे पिटे विषय पर शाश्त्रार्थ …..? लेकिन सवाल यह भी है यह कुशल कूटनीतिज्ञ चाणक्य है कौन …..? जिसको नतमस्तक करना नयी उपज के चाणक्यों का धर्म होगा | क्या हमारे देश की राजनीती का महावीर होगा ..? या दुनियां के संपन्न देशों का कूटनीतिज्ञों का विकसित चाणक्य …? पड़ोसी देशों का …? किसी आतंकवादी संघटन मैं तो इतनी विकसित चाणक्यीय बुद्धि नहीं उपज सकती है | क्यों की जहाँ आतंकिय बुद्धि उपज जाती है वहां सहनशीलता की कूटनीति नहीं रहती | ……………………………………………...क्या भारत को विकसित देश न बनने देने की कूटनीति हो सकती है | प्रबल जनता के समर्थन से बनी भारतीय जनता पार्टी की मजबूत सरकार के मार्ग मैं रोड़े अटककर मुँह के बल गिराना तो नहीं है | पाकिस्तान ,अफगानिस्तान की तरह आतंकवादियों का देश सिद्ध करना तो उद्देश्य नहीं है | जिससे यहाँ विदेशी निवेश करते भी घबराते जाएँ | बुलेट ट्रैन ,100 संघाई स्वप्न ही बनाना उद्देश्य तो नहीं …? ………...सीधे साधे धार्मिक योग गुरु रामदेव जी अपने सीधे साधे मित्र के सीधे साधे वैदिक ज्ञान से शांति की परिकल्पना कर रहे हैं | धारा ३७० पर चर्चा का ,कश्मीर से हल का शान्तिकारक अनुभव कर रहे हैं | सामान्यतः कश्मीर पर विस्तार से शास्त्रार्थ नहीं हो पता | धारा ३७० पर और कश्मीर पर जनता को सामान्य ज्ञान भी तो देना होगा | …………………..वेद प्रताप वैदिक वैदिक हैं और राम देव जी के साथी है तो हिन्दू धर्मी आरएसएस वाले ही होंगे | और सरकार से भी जुड़े होंगे | और सरकारी दूत बन हाफीज़ सईद से मुलाकात कर रहे हैं | जो दुनियां के विकसित देशों का मोस्ट वांटेड है | ऐसे देश से ,ऐसी सरकार से सम्बन्ध मत रखो ,वहां निवेश मत करो | क्या यही सन्देश देना ही उद्देश्य हो सकता है | ………………………………………………………………………………….लेकिन वैदिक विचारों को नकार देना ही धर्म बन गया है | शांति के वैदिक मन्त्रों को नकारना ही अपने अपने स्वार्थों को सिद्ध करने का मार्ग बन गया है | भारत के हिंदुस्तान पाकिस्तान मैं विखंडन के बाद पूर्वी पाकिस्तान पश्चिमी पाकिस्तान रूप दुखदायी हुआ तो शांति हेतु बांग्लादेश उपजा था | जब बांग्लादेश बनने से शांति का आभाष हो सकता है तो कश्मीर जैसे सदाबहार सिरदर्द को मिटाना भी शांति का अहसास कर सकता है | इस पर किसी देश द्रोहिता ,अहंकार जीत या हार के भाव न लाकर वैदिक विचार श्रखला बनाना भी शांति का मार्ग बन सकता है | भारतीय जनता पार्टी का भी विभिन्न रूपों मैं विस्तार से डिवेट करना हल करना उद्देश्य समय समय पर रहा है | तो फिर अब स्वतः ही डिवेट का मौका उपज चूका है तो क्यों नहीं डिवेट चलते देना चाहिए …? | ………………………………………………………….जब सोवियत संघ भी टूट सकता है | चेकोस्लोवाकिया टूट सकता है | शांति के लिए हिंदुस्तान ,पाकिस्तान ,बांग्लादेश बन सकता है तो शांति पूर्ण हल कश्मीर क्यों नहीं किया जा सकता है | जब विखंडित जर्मनी एकाकार हो सकते हैं ,तो कश्मीर क्यों नहीं ….? | क्या हर नयी सरकार ने कश्मीर पर एक युद्ध आवश्यक मान लिया …..? | अपने पराक्रम को युद्ध से ही सिद्ध किया जा सकेगा ….? कुछ नया सोचना भी ,कुछ नया शांति पूर्ण हल भी निकलना भी पराक्रम को सिद्ध कर सकता है | वेद प्रकाश वैदिक के ज्ञान को वेद प्रताप वैदिक तभी बनाया जा सकेगा | अभी गाली खाने वाले वेद प्रकाश प्रताप बन कर उभर सकते हैं | उद्देश्य यदि सिर्फ शांति हो तो तेरा मेरा कुछ भी नहीं होता जो जहाँ है वहीँ सुखी रहे यह भाव शांति पूर्ण हल देगा | वैदिक शांतिपाठ ही तो हैं ,शांतिपाठ कभी निरर्थक नहीं जाते हैं | यह युगो युगों से मनुष्य अनुभव करते आये हैं | ………………..…..ओम शांति शांति शांति

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply