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..संसार का एक मात्र देश होगा जहाँ सिर्फ पापियों से विहीन जनता होगी | यहाँ तक की स्वर्ग के देवता भी भारत मैं अपने पापों से मुक्ति को आया करेंगे | अब सरकारें भी तभी तक चल सकेंगी जब तक गंगा का प्रवाह रहेगा अन्यथा गंगा के साथ साथ उनका अंत भी होता जायेगा | …………………………….…………..क्या यह कपोल कल्पना होगी या सत्य होगा …? क्या गंगा के रक्त प्रवाह मैं इतनी प्रतिरोधक शक्ति रह गयी है कि वह बाहर के पापी वाईरस को नष्ट कर सके …?| क्या सरकार के या मीडिया की एंटी वाईरस गंगा को जीवन दे सकेंगे | क्या अंतिम सांश ले रही गंगा जिसके सारे शरीर मैं इन्फ़ेक्सन हो चूका हो ,जीवित हो पाएगी …? | जो खुद मरणासन्न हो चुकी हो क्या पापियों के पापों को तार पाएगी …? अब कोई एंटीवीओटिक गंगा को जीवन नहीं दे सकती | अपने मन मंदिर मैं ही समस्त नदियों का स्मरण करके ही अपनी आत्मा को शुद्ध करना होगा |…………………………. गंगे च यमुने च गोदावरी चैव ……………………………………….मन्त्रों से ही आत्मा ,स्थान शुद्धी करनी होगी | ८० करोड़ हिन्दुओं मैं मात्र एक करोड़ ही गंगा स्नान करते होंगे अन्य सब अपना उल्लू ही सिद्ध करते होंगे | ……………………………………………………………………………………..अतः पापियो सोच समझ कर ही पाप करना | क्यों कि पाप का इतना सहज उद्धारक हल अब व्यर्थ हो चूका है सरकारें भी ,मीडिया भी अपने अपने स्वार्थ मैं लगे हैं | कर्म फल अवश्य ही भोगना पड़ेगा | नरक मैं अवश्य ही सड़ना पड़ेगा | अब कोई भगीरथ नहीं आने वाला ,न ही कोई अवतार होने वाला | अब निश्चिन्त होकर पाप मत करो क्यों कि गंगा की डुबकी से कुछ नहीं होने वाला | पंडित ,पुरोहितों ,साधु ,संतों ,मीडिआ ,सरकारों के भ्रम जाल से बाहर निकलो | सब अपना अपना उल्लू सिद्ध कर रहे हैं | ……………………………………………………………………..भगवन कृष्ण ने भी गीता मैं स्पष्ट कहा है कि…………………………………………………………………………………….अनिष्टः मिष्टं मिश्रम च त्रिविधं कर्मणः फलम ……..(.मनुष्यों के कर्मों का अच्छा बुरा या मिश्रित फल मरने के बाद अवश्य भोगना होता है )……………………………………………………….……..क्या .. ऐसी प्रदूशित नदी का जल लेकर कांवणीए भगवन शिव का जलाभिषेक कर ,भगवन शिव को या अपने को संतुष्ट कर पाते होंगे ….? …ओम शांति शांति शांति का मन मंदिर मैं जप करते मन को पाप मुक्त रखो | किसी भी गंगा से अपने पाप मुक्ति की कामना मत रखो,यही स्वर्ग सुख भोगते स्वर्ग का मार्ग होगा ……………………………………………...ओम शांति शांति शांति
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