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कांग्रेस के दिन गए, कुशल चाणक्य की कूटनीति से

PAPI HARISHCHANDRA
PAPI HARISHCHANDRA
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..चलो अब अटल बिहारी बाजपेयी जी की तरह विदेश तो जी भर कर घूम लेंगे | उन्हें तो कुछ भय भी था हम तो निश्चिन्त होकर घूमेंगे | संसद अब कितनी शांती का अहसास करा देगी इसका अनुमान अभिभासन से हो ही गया | अब संसद मैं कोई हंगामा भी नहीं होगा | विपक्ष की तो बोलती ही बंद हो चुकी है | ……………………………………………………………………………….लेकिन कांग्रेस का एक प्रबुद्ध अनुभवी वर्ग अब भी चैन की नींद सो रहा है | उनका अनुभव यही कहता है अति फूल चूका गुब्बारा अवश्य अपने आप ही फटेगा | एक ही स्तम्भ सा युकीपटलिस पेड़ किसी भी आँधी तूफान को नहीं सह पायेगा | अवश्य ही टूटेगा | कांग्रेस जैसा बहु शाखाई बृक्ष नहीं है जो टिकाऊ होगा | नहींतो समय से अपने आप या किसी कूटनीति से ही बहुत लम्बी लकीर टूट या तोड़ दी जाएगी | अपने आप कांग्रेस की लकीर बड़ी हो जाएगी | भारतीय जनता पार्टी वन मैन शो जैसी हो गयी है | जैसे कपिल के बिना कपिल का लाफ्टर शो कोई अर्थ नहीं रखता | कश्मीर का बर्र का छत्ता क्या गुल खिलायेगा | पाकिस्तान की नीति क्या गुल खिलाएंगी | कांग्रेसियों को यही लगता है कि कुछ ऐसा अवश्य ही होगा जो कांग्रेस को फिर प्रबल जन समर्थन देकर सत्तारूढ़ करेगा | कांग्रेस को अपनी नीतियों पर अटूट विश्वास है जिस पर वह एक विचारधारा की तरह अडिग है | धर्मनिरपेक्ष तो एक सत्य है | एक कांग्रेस ही ऐसी पार्टी है जिसकी कोई विचारधारा है | भारतीय जनता पार्टी जैसी गिरगिटी विचारधारा नहीं है | जनता इसको अवश्य ही जल्दी समझ जाएगी और भूल सुधार कर लेगी | लोक तंत्र मैं महाराणा प्रताप की आवश्यकता नहीं होती यहाँ तो कमजोर से दिखने वाले ही टिकाऊ होते हैं | मनमोहन सिंह को बनाये रखना भी एक कूटनीतिक चाल ही थी | वह हार का कारण नहीं बने, बल्कि दस साल तक टिकने वाले प्रधान मंत्री बने | भविष्य मैं कांग्रेस की प्रबल जीत के बीज बनेंगे | अच्छे दिन रोज नहीं होते कभी गर्मी लू ,तूफान, बाढ़ ,सुनामी ,भयंकर सीत ,बर्फबारी ,भूकम्प , युद्ध ,अन्य दैवी आपदाएं आती रहती हैं | उन्हें झेलते दस वर्ष विता लो तब समझेंगे कुछ बराबरी की | यह भी सत्य है बुरे दिनों के बाद अच्छे दिन आते हैं समय बीतने के बाद ही लगेगा कि पहिले वाले अच्छे दिन थे या अगले वाले, तुलना तो तभी होगी | आपातकाल के बाद आए अच्छे दिन उससे भी बुरे दिन साबित हुए मिली जुली सरकार की टूट फूट ने सब अर्थ व्यवस्था चौपट कर दी और फिर अच्छे दिन ही बुरे सिद्ध हो गए | लौट के बुद्धू घर को आये | इंतजार होगा उसी टूट फूट का ….तब तक गाली गलौज खाने से बचते आराम की नींद तो सो सकेंगे | जी भर कर सत्तारूढ़ पार्टी को गाली तो दे सकेंगे |बहुत गालियाँ खाकर संयम बरता है | ………………………………………...ओम शांति शांति शांति

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