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मस्त मस्त दो नैन ,दिल का ले जायेंगे चैन

PAPI HARISHCHANDRA
PAPI HARISHCHANDRA
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सास भी कभी बहु थी ,क्या बहु थी तो अच्छी नहीं लगी सास बनी तो भी अच्छी लगी…? | अच्छी भी इतनी की वर्षों वर्ष मन लुभाती रही | प्रत्यक्ष मैं बहु न बनी न सास किन्तु कितना मन भावन रोल करके दिखाया | मेरी अभिनय क्षमता को देखकर ही डायरेक्टर ने मेरे मस्त मस्त नैनो पर विश्वास करके यह शिक्षा मंत्री ,मानव संसाधन मंत्री का रोल दिया है | अब क्यों इस रोल को न निभा पाने पर संसय किया जा रहा है | अभिनय के लिए शिक्षा की आवश्यकता नहीं होती | करना वही होता है जो डायरेक्टर कहता है | मुरली मनोहर जोशी जी और कपिल सिब्बल जैसे महानुभावों की क्यों मिसाल दी जा रही है अच्छा रोल करते तो फिर क्यों नहीं चल पाये जनता ने क्यों नहीं बार बार स्वीकारा | कांग्रेस मैं भी तो अनेक कम पड़े लिखे मंत्री हुए जो कम पड़े होकर भी अपना रोल सफलता से निभा सके | अभिनय क्षमता पर उसकी संसय हो सकता है जिसके हाव भाव फोटोग्राफिक न हों ,जिसकी अभिनय क्षमता को जनता ने अस्वीकार कर दिया हो | मुझे पड़ा लिखा या अति उच्च शिक्षित होना क्यों जरूरी है | विश्वास कीजिए मैं अपने रोल को पूरी निष्ठां से ,लगन से तन मन से निभाऊंगी | इसमें ज्ञान की कहाँ आवश्यकता पड़ेगी ,रोल ही तो निभाना होगा | जनता के सन्मुख रोल तो निभाने दो फिर देखना कैसे जनता मेरे रोल को नहीं स्वीकारती है | डायरेक्टर की चयन क्षमता पर ही विस्वास करो कैसे महा दिग्गज लोगों की अभिनय क्षमता को धूल मैं मिला दिया | जब डायरेक्टर भी महान अभिनय क्षमता वाला हो तो क्यों नहीं उत्तम अभिनय क्षमता को नहीं पहिचान पायेगा | मेरी पराजय पर मत जाओ राहुल गांधी से मेरी हार , हार नहीं थी ,वह तो जनता फिर से नए अभिनय को देखना चाहती थी ,जो कि डायरेक्टर साहेब ने समझ लिया | भूल जाओगे सास भी कभी बहु थी के रोल को याद रहेगा यह नया रोल, | दिल और दिमाग पर अब नया रोल ही गूंजता रहेगा देखते रहो बस ..| भूल जाओगे कि नेता या अभिनेता को पड़ा लिखा उच्च शिक्षित होना चाहिए | ……………………………………………………………………………………..ओम शांति शांति शांति

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