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(२)बलि का बकरा ”चाणक्य” है जेल मैं …संत आशाराम बापू

PAPI HARISHCHANDRA
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धर्म गुरु संत आशाराम बापू को ….? हे भगवन इनकी ओर तो सोचा भी नहीं | किन्तु इनमें कूटनीतिक बुद्धी कैसे आ गयी | फिर यह तो जेल मैं हैं अपने सुपुत्र के साथ | हो सकता है धनबल भी है इनके पास ..| ……………………………………….लेकिन चाणक्य यह भी नहीं ….कह दोगे | अब बता भी दो क्यों पहेलियाँ बुझ रहे हो ….| ठीक है अब मुझे नींद आ रही है कल बताऊंगा कह दोगे | भक्तों के भगवन ,भक्ति की रस धारा प्रवाहित कर दीन दुखी , अपने पाप के बोझ से घबराये भयभीत जन मनुष्यों को शांती का आभाष करा रहे ,संत आशाराम बापू को एक सुनियोजित तरीके से अपराध के चक्रव्यूह मैं फंशा कर ,जेल बैकुंठ की सजा भुगता कर नरक का जीवित रूप दिखा दिया | धर्म गुरु ,तंत्र गुरु के करोङों भक्तों ने तभी गुरु दक्षिणा मैं सत्ता के अंत की गुरु दक्षिणा देने की ठान ली थी | करोङो भक्तों की आत्मा पर अधिकार करने वाले संत का कारावास पल पल भक्तों को टीस देता रहा | कितने तड़प तड़प कर बिताये यह ७ महीने …| हमारे आराध्य जेल मैं और हम बाहर धिक्कार है हम को | मौका मिला तो सत्ता से विमुख कर दिया | ……………………………………………….तांत्रिक शिष्यों ने तभी भयंकर अनुष्ठान प्रारम्भ कर दिए थे | जमीन पर सोना ,शत्रु नाशक बगुला मुखी का पाठ करते, ब्रह्मचर्य का पालन करते ,अपने बालों को जटाओं का रूप देते ,एक समय फलाहारी भोजन करते गुरु संत आशाराम बापू को कारावास से निकालने ,निर्दोष सिद्ध करने की कामना करते रहे | गुरु संत आशाराम एक तंत्र मन्त्र सिद्ध संत हैं | उनकी शक्ति क्षीर्ण हो चुकी है किन्तु उनके तांत्रिक शिष्यों की शक्ति कई गुणा बड़ चुकी है | रामदेव का तो अनुष्ठान पूरा हो गया उनका ब्रत पूर्ण हुआ वे हरिद्वार वास को चले गए | किन्तु आशाराम भक्तों का अनुष्ठान अभी पूर्ण नहीं हुआ | हो भी कैसे गुरु आराध्य तो अभी कारावास मैं ही हैं | ………………….अपने को हिन्दू के संरक्षक कहने वाले वोट भुनाने वाले आशाराम को भुला चुके हैं | अपने को चाणक्य कूटनीति से जीत हासिल करने वाले भूल चुके हो कि हिन्दू वोटों के असली चाणक्य सूत्रधार संत आशाराम पर किये अत्याचार ही थे | जिनको हिन्दू दर्द के रूप मैं उगाया | कैसे किन किन परिष्तिथियों मैं उनको फंसाया गया था ,किसने फंसाया था क्यों फंसाया था | सब जग जाहीर है | भक्त चिल्लाते रहे रोते रहे विलखते रहे ,उनका दमन कर भावनाओं को दबा दिया गया | वही बीज रूप लेकर प्रतिरोधक वोट बने | पहिले प्रदेश ,फिर देश सर्वत्र आक्रोश ही ने शापित किया | हिन्दू तंत्र विद्या पूर्ण तह सफल हो गयी | ….संतों का शाप ले डूबा | लेकिन यह सब तो स्वाभाविक होता चला गया इसमें किसी की बुद्धी बल या चाणक्य नीति कहाँ से दृष्टिगोचर हो रही है | चाणक्य यानि अपनी बुद्धिबल से जीत हासिल की अपनी कूटनीतिक चालें चल कर ….| …………………………………………….क्या असली चाणक्य यह भी नहीं ………| अब इसके पीछे भी कौन हो सकता है जो सब कुछ शतरंज की तरह खेलता रहा चाणक्यवतार ….| क्या संत आशाराम बापू सिर्फ बलि का बकरा ही बने उनको सुनियोजित रूप से फंसाया गया | भगवन जाने ….| ….या फिर कल पर टाल दोगे ……………………………………………………..…चाणक्यों की एक अलग योनी श्रष्टी मैं पैदा हो चुकी है | हर कोई चाणक्य ही नजर आता है | शायद लोकतंत्र की यही पहिचान हो चुकी है| धर्म अधर्म से पर जो एक नया धर्म होता है वह राजनीती धर्म ही है | साम, दाम, दंड ,भेद को मिलाकर ही बन जाती है चाणक्य नीति…… | ………………………………………………..अभी ओम शांति शांति शांति का जप करो और असली चाणक्य का कल तक इंतजार करो …………………………अपनी कल्पना को मूर्त रूप देकर कॉमेंट कीजिए .की कौन होगा चाणक्य ………………….क्या आक्रोशित भक्तों का आक्रोश कहीं बैकफायर तो नहीं कर देगा यदि संत आशाराम बापू को कारागार से मुक्ति नहीं मिलेगी ……?  …ओम शांति शांति शांति

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