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…दम्भ ,घमंड ,और अभिमान तथा क्रोध ,कठोरता ,और अज्ञान भी यह सब आसुरी सम्पदा को लेकर उत्पन्न हुए पुरुष के लक्षण हैं |………………..………………………………………………….दैवी सम्पदा मुक्ति के लिए और आसुरी सम्पदा बाँधने के लिए मानी गयी है | …………………………………………………….असुर स्वाभाव वाले मनुष्य प्रबृति और निबृती इन दोनों को नहीं जानते | इसलिए उनमें न तो बाहर भीतर की शुद्दि है ,न श्रेष्ठ आचरण है और न सत्य भाषण ही है | जगत आश्रय रहित ,सर्वथा असत्य और विना ईश्वर के ,अपने आप केवल स्त्री पुरुष के संयोग से उत्पन्न हैं | वे दम्भ ,मान , और मद से युक्त मनुष्य किसी प्रकार भी पूर्ण न होने वाली कामनाओं का आश्रय लेकर ,अज्ञान से मिथ्या सिद्धांतों को ग्रहण करके और भ्रष्ट आचरणों को धारण करके संसार मैं विचरते हैं | वे सोचा करते हैं की मैंने आज यह प्राप्त कर लिया है और अब इस मनोरथ को भी प्राप्त कर लूँगा | वह शत्रु मेरे द्वारा मारा गया और उन दूसरे शत्रुओं को भी मैं मार डालूँगा | मैं सब सिद्धियों से युक्त हूँ और बलवान और सुखी हूँ | मेरे सामान दूसरा कौन है ..? वे अपने आप को ही श्रेष्ठ मानने वाले घमंडी पुरुष ,धन और मान के मद से युक्त होकर केवल नाम मात्र के यज्ञों के द्वारा पाखंड से यजन करते हैं | वे अहंकार ,बल ,घमंड ,कामना ,और क्रोध आदि के परायण और दूसरों की निंदा करने वाले पुरुष अपने और दूसरोंके शरीर मैं स्थित मुझ अन्तर्यामी से द्वेष करने वाले होते हैं | काम क्रोध और लोभ यह तीन प्रकार नरक के द्वार आत्मा का नाश करने वाले ,अधोगति मैं ले जाने वाले होते हैं | द्वेष करने वाले पापाचारी और क्रूरकर्मी नराधम संसार मैं बार बार आसुरी योनियों मैं ही जाते हैं| ……………………………..ओम शांति शांति शांति
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