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कोयले का दरोगा ,द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर jagran juction forum

PAPI HARISHCHANDRA
PAPI HARISHCHANDRA
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.”..द एक्सीडेंटल प्राईम मिनिस्टर “ के लेखक संजय बारु एक अल्पज्ञ सस्ती लोकप्रियता के लिए अपने अल्पज्ञ होने की मूर्खता ही कर रहे हैं |” क्रूसेडर ऑर कन्सिपिरेटर ” के लेखक पी सी पारेख तो” नमक के दरोगा “की प्रेणना से “कोयले के दरोगा” बनने के लिए तैयार हो चुके हैं | चुनाव के अवसर पर ऐसी पुस्तक का लोकार्पण ,सम्पूर्ण विश्व मैं एक महान विद्वान प्रधान मंत्री का मान मर्दन , महान लेखक प्रेम चन्द्र की कृति ” नमक का दरोगा” से प्रेणना का ढोंग ही माना जायेगा और अपने असल प्रेणना स्त्रोत के साथ महामूर्ख ही समझे जायेंगे | क्या महान लेखक कहलायेंगे …? क्या अपने प्रेणना स्त्रोत को जीत दिला पाएंगे | जिसका मान मर्दन कर रहे हैं , वह तो जीवन मैं सर्व गुण सम्पन्न महान व्यक्ति से और भी उचाईयों को पाता जायेगा | लेखको को विकाऊ होने का तमगा मिल ही जायेगा | विद्वान हो लेखक हो तो क्यों नहीं विक कर अपनी अर्थव्यवश्था सुधार सकते हो | जब की हर वर्ग अपने अपने हुनर को बेच कर सम्पन्न हो चूका है | ..…………………….. महान विद्वान मौन रहकर अब भी और भी महान विद्वान सिद्ध हो जायेगा | और बाचाल, अपनी कृति के प्रेणना स्त्रोतों के साथ शर्मिदा ही होंगे | मन मोहन ने तो कभी प्रधान मंत्री की चाहत नहीं की | पार्टी के हित के लिए, देश के हित के किये, अपनी सेवाएं विना किसी लोभ के दी | अब भी प्रधानमंत्री के पद की चाहत या लोभ नहीं है | विना फल की इच्छा के कर्म भूमि मैं हैं | भगवत भक्ति क्या लोकतंत्र मैं नहीं होनी चाहिए | शक्ति पूजा क्या लोकतंत्र मैं नहीं होना चाहिए | मान मर्दन कर क्या हासिल कर लोगे | कर भी लोगे तो क्या विगाड़ लोगे | ……………………………………...नीचों का स्वाभाव कुत्ते सा होता है | जिस तरह कुत्ता बुरी से बुरी चीज को आनंद से खाता है | उसी तरह नीच और स्वार्थी लोग बुरे से बुरे कर्म भी करने या निन्दित से निन्दित उपायों से जीविका उपार्जन करके पेट भरने मैं नहीं हिचकिचाते हैं | अगर कोई उन्हें सौ सौ जूते मारकर ,हजारों गलियां देकर भी रोटी रुपया धन का टुकड़ा देते हैं ,तो भी वह खुशी से स्वीकार कर लेते हैं |…………………………………..……..ओम शांति शांति शांति

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