धर्म शास्त्र नगरी वाराणसी बड़े बड़े प्रचंड महान ज्ञानी विद्वानो के शास्त्रार्थ की नगरी रही है |किन्तु प्रचंड शास्त्रार्थ मैं हारे विद्वानो की हार उन्हें इसी लोकोक्ति की शर्मिंदगी कराती है | इसीलिये वाराणसी मैं यह लोकोक्ति प्रचलित है | दूर दूर से आये विद्वान गंगा मैं नहाते वही धोती सी शर्मिंदगी महसूस करते आये हैं | युग धोती कुरता ,माथे पर त्रिपुंड ,लम्बी मोटी चोटी ,हाथ मैं मोटे मोटे धर्म ग्रन्थ ,महान शास्त्री ,आचार्य की उपाधी ,मान सम्मान वाले पंडितों का | बड़े बड़े धुरंधर पंडितों की धोती गंगा मैं बहा चुके पंडित | ऐसे ही विद्वता मैं अगर्णी विद्दोत्मा ने जब पुरुष पंडितों की धोती बहा दी तो शर्म ,अपमान से ग्रषित पंडितों ने कालिदास को खोजकर कूटनीति से विद्दोत्मा की जिंदगी भर की धोती ख़राब कर दी | ……………………………………………………………..वर्त्तमान शास्त्रार्थ विषय भ्रष्टाचार से विमुख करते राजनीतिज्ञों ने विषयंत्रण कर विषय हर हर कर दिया | क्यों कि भ्रष्टाचार तो एक ऐसा विषय था जो राष्ट्रीय धर्म निरपेक्षी था | जिसमें धर्म जाती पाती कहीं भी नहीं थी | सारे राजनीतिज्ञ ,राजनीतिज्ञ पार्टिया अक्सर इसमें ग़ोता लगाती रही हैं | अब जनता को कैसे उल्लू बनाया जाये ,लीक से हटते समस्त राजनीतिज्ञों की यह कूटनीतिक चाल सामने आई | भारतीय जनता पार्टी ने हर हर मोदी,घर घर मोदी का नारा देकर नए शास्त्रार्थ विषय का विषयांतरण कर जनता को लुभाया | अब भूल जाओ भ्रष्टाचार को ,अब विषय है हर हर ,…………….जिसमें धर्म गुरु स्वामी स्वरूपानंद जी कैसे विद्वता नहीं दर्शाते | जब समस्त राजनीतिज्ञ शरणागत हो चुके हैं | अपने आप को धर्म निरपेक्षी कहते मुशलिम वोट हाशिल करने के लिए प्रयास सब गडमड होते नजर आ रहे हैं | अब भारतीय जनता पार्टी के ही नहीं ,कांग्रेसी ,समाजवादी पार्टी के ,बहुजन समाजवादी पार्टी के भी लोग हर हर मोदी कहते नहीं थक रहे हैं | विभिन्न भाष्य व्याख्खायाएं अब तक राजनीतिक विद्वानों द्वारा रचे जा चुके हैं , हर हर पर | भारतीय जनता पार्टी के भक्त तो भक्ति मैं मग्न हो चुके हैं | वहीँ विपक्षी राजनीती अपनाते भारतीय जनता पार्टी को हिन्दू साम्प्रदायिक पार्टी घोषित कर धर्मनिरपेक्षता को बदनाम कर रहे हैं | जनता भ्रष्टाचार को भूल कर हर हर मोदी बोलकर वेलगाम होती जा रही है | अब तो हर हर बोलकर ही संतोष मिल रहा है | अब गैर बी जे पी ही बोलेंगे हर हर मोदी और बदनाम होंगे भारतीय जनता पार्टी वाले | कितना त्याग किया भारतीय जनता पार्टी ने राम नाम को विसारते | भूल सुधरते भारतीय जनता पार्टी नेत्तृव ,महान संतों ,कोर्ट से भी भगवन शिव का अपमान मान कर नारा बदल दिया | अब हर हर की भयंकर बाद नहीं रूकने वाली | करो हर हर का विरोध उठाओ इस लोक मैं लाभ और परलोक मैं तो मुक्ती मिलेगी ही | पावन गंगा तट पर शिव की नगरी मैं किया उद्घोस जो है | महान विद्वानो द्वारा खोजा गया कालिदास भी अब तैयार हो चूका है | शास्त्रार्थ मैं कालिदास को ही जिताना है ,यही उद्देश्य है पंडितों का | कालिदास हूँ तो क्या ,भविष्य मैं उपमा कालिदासस्य की उपाधी से सुसोभित महान पंडित मैं कहलाऊंगा ,यही विचार कर मैं सारे अपमान झेल रहा हूँ | …………………………………..मैं जानता हूँ कि हर हर का अर्थ पापों को हरना यानि नाश करना ही होता है | भगवन शिव ने भागीरथी गंगा को पृथिवी पर लाते अपने सिर की जटाओं मैं धारण करते पृथिवी पर सागर पुत्रों का पापों को हर यानि नाश कर उद्धार किया | और हर हर महादेव कहलाये | वही गंगा जब पृथिवी पर पापिओं के पापों को हरती प्रवाहित होती है तो हर हर गंगे कहलाई | ………………………………………………………....अब हर हर मोदी कहलाने वाले ,आम जनता के लिए दुःख हरने ,समाज से भ्रष्टाचार हरने ,गरीबी ,भुखमरी हरने को विकास का झंडा उठाये ,तो क्यों साम्प्रदायिक कहलाये | मैं तो वैसे भी नर यानि मनुष्यों मैं इंद्र यानि महान हूँ इसीलिये नरेंद्र कहलाता हूँ ,क्यों नहीं हर हर नरेंद्र कहलाऊँ | क्या यही गलत हुआ | हर हर मोदी पर आपत्ति है ,मोदी चाय पर आपत्ति है ,हर हर पर पर कोई आपत्ति नहीं कर सकता अब बाजार हर हर उत्पादों से भर जायेंगे ,हर हर अगरबत्ती ,हर हर धूप ,हर हर चाय हर हर साबुन ,हर हर शेम्पू | दुःख भंजन उत्पाद अब जनता को अवश्य ही लुभाएंगे | इन उत्पादों पर कोई प्रतिबन्ध या विवाद नहीं हो सकता |,हो सकता है हर हर चेनल भी जल्द आ जाये | या हर हर पार्टी भी जन्म ले सकती है | | मोदी तो कुल नाम है , कुल मैं सभी महान नहीं हो सकते | पड़ितों की चाल को मैं समझ चूका हूँ |अनुभवी पंडित हूँ | किन्तु क्या हल होगा समझ नहीं आ रहा | कहीं कालिदास को ही यह विद्वान न विजयी कर दें | ………………………………..ॐ शांति शांति शांति
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