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धर्म ,शाश्त्र शाश्त्रार्थ नगरी वाराणसी मैं भ्रष्टाचार पर होगा भयंकर शाश्त्रार्थ

PAPI HARISHCHANDRA
PAPI HARISHCHANDRA
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शाश्त्रार्थ के लिए मसहूर वाराणसी दुनिया भर के विद्वानों को अपनी विद्वता सिद्ध करने का मुख्य केंद्र आदि काल से रहा है | यहाँ जीते विद्वान को ज्ञानी माना जाता रहा है | विषय अध्यात्म ,द्वेत अद्वेत या अन्य रहे थे | धर्म नगरी वाराणसी शिव शंकर की नगरी ,हिन्दू धर्म मान्यताओं की नगरी ,जहाँ अंतिम समय बिताकर शिवलोक ही मिलता है | अब पहली बार एक राजनीतिक विषय भ्रष्टाचार है | जिस पर भ्रष्टाचार के भारतीय जनता पार्टी के महान विद्वान नरेंद्र मोदी जी घोषित हुए हैं | वहीँ आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविन्द्र केजरीवाल जी घोषित हुए हैं | जिन्होंने अपनी विद्वता से कांग्रेस ,भारतीय जनता पार्टी जैसी पार्टियों के विद्वानो के छक्के छुड़ाते दिल्ली को ध्वस्त कर दिया था | भ्रस्टाचार पर इन दोनों कि विद्वता इतनी गहन है कि कांग्रेस जैसी अनुभवी पार्टी के महान विद्वान भी आमने सामने शाश्त्रार्थ न कर किसी कालिदास की तलास मैं हैं | कूटनीति तभी काम आती है जब अपनी शक्ति कम महसूस हो या दो विद्वानों को लड़ाकर उनकी विद्वता ध्वस्त करनी हो | जीतने वाले को पुरस्कार भी इतना महान होगा कि जी जान से लड़ना ,या कूटनीति चाल चलना आवश्यक हो गया है | प्रधानमंत्री पद ,एक सर्वोच्च शक्ति शाली शाशक | बहुत भ्रष्टाचार भ्रष्टाचार करते कांग्रेस की खाल खींचते थे | अब स्वयं झेलो भ्रष्टाचार भ्रष्टाचार का भूत ..| हमारा कालिदास ही तुम दोनों भ्रष्टाचार के प्रचंड विद्वानो को ध्वस्त कर देगा | नहीं तो लड़ मरो | हमारे तो दोनों हाथों मैं लड्डू ही हैं | भ्रष्टाचार के जिस भूत ने हमारी मुख्य मंत्री को हरा सत्ता च्युत किया अब उसका मुंह भ्रस्टाचार के दूसरे भूत की और मोड़ दिया है | लड़ते रहो डॉन भूतो | सत्ता तो हमें ही अंततः सम्हालनी होगी | ……………………………………………………………………………….लेकिन सत्य मैं इनमें से वास्तविक हरिश्चंद्र कोई है | असली हरिश्चंद्र न भारतीय जनता पार्टी के नरेंद्र मोदी जी हैं, न आम आदमी के अरविन्द्र केजरीवाल या कूटनीतिज्ञ कांग्रेस के कालिदास ही | असली हरिश्चंद्र तो पापी सिद्ध होकर मुंह छुपाये बैठा है | क्या उसने चुनाव लड़कर शाश्त्रार्थ जीतकर अपनी विद्वता सिद्ध करनी चाहिए | अपनी सचाई जनता के सामने लाकर क्या मैं जन समर्थन पाकर शाश्त्रार्थ जीत पाऊंगा ..? क्या आम जनता मुझे पहिचानते सच्चाई सिद्ध करने का मौका देगी | केजरीवाल अगर इंजीनीर हैं ,सच्चाई के लिए भ्रष्टाचार विरोध के लिए विभिन्न महान पदों को छोड़ चुके हैं | और न ही कुछ चाहत है | तो मैं भी इंजीनियर हूँ | भ्रष्टाचार के लिए विभिन्न ही नहीं पचासों महान कंपनियों को ,यहाँ तक सरकारी नौकरियों को त्याग चूका हूँ | धन दौलत को कोई महत्त्व नहीं देता | अवैध सम्बन्ध नहीं बनाता | किसी के दुःख दर्द को अपने को बर्बाद करके भी दूर करता आया हूँ | केजरीवाल जी अब भी अगर मैं शाश्त्रार्थ जीत गया तो अपना प्रधान मंत्री पद सहर्ष आप को या नरेंद्र मोदी जी को दे सकता हूँ ,क्यों कि नतमस्तक को दान कर देना मेरा धर्म है | आप स्वीकार नहीं करोगे तो किसी दबंग के प्रभाव मैं डरे सहमे देना ही पड़ेगा | मैं सब कुछ पाकर भी खोते हर्ष ही महसूस करता आया हूँ | चांडाल की नौकरी कभी भी नहीं भरती है | हरिश्चंद्र तो महात्मा गांधी या अन्ना हजारे के रूप मैं भी संतुष्ट हो जाते हैं | ……………………………………………………दो विद्वान हों तो भी लड़कर एक जीत जाता है | लेकिन तीन विद्वान पंडित सब गुड गोबर कर सकते हैं यही सोचकर लड़ने दो दोनों विद्वानों को | कुछ तो मिलेगा देश को | भ्रष्टाचार पर थीसीस लिखने वालों को अच्छा मसाला मिल ही जायेगा |
जीतने वाला भ्रष्टाचार की नदी मैं डूबते इहलोक को सुधारेगा , वहीँ हारने वाला पतित पावन गंगा मैं मुक्ति का बोध करते शिव लोक या बैकुंठ का भाष करेगा | यानि हारने वाला रावण की तरह हारकर भी मुक्ती पायेगा |
ॐ शांति शांति शांति

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