मेरी माँ,मेरा पिता ,मेरा भाई , मेरी बहिन ,मेरा घर ,मेरा मोहल्ला ,मेरा शहर ,मेरा प्रदेश ,मेरा देश ,फिर क्यों नहीं मेरा भारत महान ? राजीव गांधी के नारे मेरा भारत महान पर क्यों शर्म …..? क्यों की गयी इस महान नारे पर आलोचनाएं ..? जब मेरा पन आयेगा तभी मैं अपने भारत को अपने ढंग से सवारूँगा ,सजाऊंगा ,और गर्व से कहूंगा मेरा भारत महान | यदि अपनापन नहीं होगा तब क्यों उसे सजाऊंगा सवारूँगा ,करोड़ों लोगों का भारत है अपने आप रहता है | मेरी ही क्यों जिम्मेदारी है | हमारा भारत महान होगा तो जिम्मेदारी एक दूसरे की होगी ,सरकार की होगी | जब भारत के करोड़ों लोगों को यह अहसास होगा कि मेरा भारत है , इसे महान मैंने बनाये रखना है , तभी भारत महान बनेगा | मेरा धर्म है , मेरा कर्म है , मैं अपने धर्म से , मैं अपने कर्म से इसे महान बनाये रखूंगा यही चाहत हो | मैं हिन्दू हूँ तो ,मैं मुस्लिम हूँ तो,सिख हूँ तो,ईसाई हूँ तो ,अपने अपने ढंग से इसे सजा सकता हूँ | मैं किसान हूँ तो ,मैं मजदूर हूँ तो मैं डॉक्टर हूँ तो ,मैं इंजीनियर हूँ तो ,मैं व्यापारी हूँ तो ,मैं गरीब हूँ तो ,मैं अमीर हूँ तो अपने भारत को अपने अपने ढंग से सजाऊंगा ,यही भाव होंगे तभी मेरा भारत महान बनेगा | हमारा भारत होगा तो मेरी बला से ,हर काम की जिम्मेदारी विशिष्ट व्यक्ती की ही है वह अपने आप संभालेगा |……………………………..क्या लोक तंत्र मैं वोट पाने के लिए मेरापन हटाना पड़ता है ..? क्या राज करने के लिए हम बनना आवश्यक है ..? वोट पाने के लिए हम बनना जरूरी है …? शायद यह सच ही है | अकेला हिन्दू ,अकेला मुस्लिम ,अकेला सिख ,अकेला ईसाई ,या अकेला व्यापारी ,अकेला मजदूर ,अकेला किसान ,चुनाव नहीं जीत पाता है | कोई भी धर्म ,विचारधारा तक सत्ता नहीं सम्भाल पाती है | अपनेपन को भूलाना ही पड़ता है | जनता मैं हम बन कर ही नेता बना जा सकता है | और हम बन्ने के लिए भ्रष्ट बनना ही पड़ता है | और इस भ्रष्टाचार को ही राजनीती शब्द से सवांरा जाता है | सत्ता मिलते ही यह धर्म बन जाता है | भावनाओं का खेल नहीं है राजनीती ..| हम बनो और भावनाओं पर राज करते सत्तारूढ़ हो जाओ | हम बनते पहले चुनाव जीतो ,फिर हम बनते तालमेल करते मिलीजुली सरकार बनाओ ,फिर हम सब का भला करते दिन कट ही जायेंगे | सत्ता सुख भोगते विपक्ष भी भ्रष्ट भ्रष्ट चिल्लाते सरकार को धक्का देते रहेगा | भ्रष्ट भ्रष्ट चिल्लाने वाला आम आदमी भी ईमानदार कहलाता हरिश्चन्द्री मान सम्मान पाता रहेगा जब तक स्वयं सत्ता न पा ले | पाँच साल जैसे तैसे कट ही जायेंगे | हम विचारधारा सब का भला सोचती कार्यशील रहती है | मेरा धर्म ,मेरी जाति ,मेरी विचारधारा ,मेरे आदर्श , मेरा देश ,मेरी पार्टी , मेरा सघटन सब भूल जाओ | हमारा देश ,हमारी पार्टी ,हमारा संघटन ,बनाओ तभी हमारा देश महान होगा यही परिपक्व राजनीती है | ………………………………………मैं मेरा मेरा करते ,मेरा धर्म ,मेरी जति,मेरा क्षेत्र ,करते लड़ते रह जाओगे हम सबको समेटते राज करते रहेंगे | चुनावी नावी विगुल बज चूका है ,जल्दी से अपना धर्म ,जाति ,विचारधारा ,इमां धर्म ,आदर्श को निकाल फेंको और हम बन जाओ ,…………………………………….. ,.ॐ शांती शांति शांति
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