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रश्मिमान,समुद्यन, भास्कर , पूषा ,गभस्तिमान ,भानु ,शिशिर ,रवि ,शंख ,तमोभेदी,पिंगल ,सर्वतापन ,कवि,तेजस्वियों मैं भी अति तेजस्वी महान संत संतलाल करुण जी आपको नमस्कार नमस्कार नमस्कार है | जहाँ ‘ब्लॉग शिरोमणी’ संत लाल करुण जी से ,भावनाओं के ,शब्दों के चिरपरिचित सूर्य अपनी चमक बराबर बनाये रखे हों | उनके तेज के आगे समस्त गृह ,नक्षत्र तारे ,यहाँ तक चन्द्र भी अपना तेज खो देता हो | संती चोला है तो क्या ‘ दुष्यंत की प्रणय निवेदन’ ‘कर सत्योपचार तो झंकार रहे हैं | वैशिष्ट्य और उनके दशानन …….का अटटहास ..| सबसे बड़ा दर्द ,और कई मृत्युदंड की सजा ……| शायद सूर्य का भयकर कोप ही होगा …| आप का तेज तो समुद्यन ही स्थित रहेगा |…………………………………………………………………………………………………………..जहाँ चन्द्र की ,विभिन्न कलाओं की चांदनी मैं परम पावन यमुना ,कालिंदी रूप मैं भी चमक बनाये रखे | सूर्य एक सत्य है तो चन्द्र भी कम नहीं ..,| क्या २७ नक्षत्रों का समूह प्रभा खोने देगा ?.. लूटेरी सी पगली …,लाल निशान .., यह कैसी रूखसत है ..,वह एक लेखनी ..,|…………………………………………………………………………………………रंज न करें j रंजना जी ,आपके तेज को भी कोई फीका नहीं कर सकेगा | आपके शब्दों का’ खौफ ‘ हादसों का शहर ,लड़कियां ,मन की छाया ,तुम , मन की पुकार ,झोपड़ी ,मजदूर औरत ,समय का अंतराल ,बसंत ,प्यार तुम्हारा ,तमस ,दीप अकेला ,तर्पण ,प्यास का जंगल ,कपिला ,अजनवी ,हमारे साहित्य मनीषी ,अवश्य आपको नकार न सकेंगे | आप अपने स्थान पर पूर्ववत टिमटिमाती रहेंगी |……………………………………………………………………………निशा जी ,निराश न हों आप उषा से कम सुख शांतिदायक नहीं है | बचपन के दिन हैं खेलने दो …,शादी कर दो सुधर जायेगा ….,फैसन बनता बलात्कार …,सो गयी है आत्मा ..,भूखमरी अन्न की बर्वादी ..,गिरगिटी नेताओं को आइना दिखाना होगा …,तभी तो आप की आवश्यकता साहित्य सरताज अंतरिक्ष मैं केन्द्रीत रहेगी …,|………………………………………………………………डॉ शिखा आपका शिखर निवास मैं कोई व्यवधान नहीं कर सकता है | आप ‘ चौदह वरस के विरह ताप कैसे सहेगी ‘ की चिंता न करें | आंगन मैं तब आई धूप ..,तू केवल इंसान …,बेगमें तो होती हैं अहसान फरामोश ..,लंका मैं सन्नाटा है ..,शहीदों के कफ़न भी बेच खाते हैं कई बुझदिल …, ‘तमाचा ‘..,मार कर…… ‘प्रथम पुरुष स्त्रीवादी आदि कवि वाल्मीकी’…., ‘अवश्य ही सुस्थापित करेंगे |……………………………………………………………………………………फिरदौस खान एक ऐसा सितारा , जो काफी चमकदार प्रतिभाशाली होते भी शांत है क्यों ‘ चांदनी रात मैं कुछ भीगे ख्यालों की तरह’… .. तू मेरी गोकुल का कान्हा ,मैं तेरी राधा रानी …,बन सकती ,आप तो विना उपाधी की डॉक्टर हैं | ………………………………………………………………………………………………..शालीनी जी ‘ मीडिआ भैस है ‘….,दिल्ली वापिस केंद्र शक्ति हो …,तकलीफ जिंदगी है ,आराम मौत है ….,कभी …… ‘न साथ छोड़ते हैं कभी सच्चे मददगार’……., … तभी तो आप अपने स्थान को जगमगाएंगी …,|,………………………………………………………………………………………………..सीमा ही जिंदगी को आत्म मंथन को मजबूर करती हैं लेकिन ‘ माँ शारदे’ …..,आपके स्वप्नों को असीमित सच करेंगी | ‘खट्टी मीठी यादों ‘….,के साथ ‘अज्ञात कन्या का मर्म ‘……,सबको दृष्टि गोचर होगा ..,|….,,………………………………………………………………………………………………..सोनम सैनी आपकी सरल ,सारगर्भित लेखन आपको अपनी चमक नहीं खोने देगा ….,……………………………………………………………………………………………..खुशबु को कभी छुपाया नहीं जा सकता है | ‘गम ‘.. औरत ‘…..,की ….,’दिल की आवाज’ …,से निकल कर कहता है….’. तू कहाँ है ‘….| ,लेकिन कभी भी खुश्बुओं को नहीं छुपाया जा सकता है ..| …………………………………………………………………………….सुलोचना आप तो सु लोचना हैं | आप अपने लोचनो से ही साहित्य आकाश को जगमगाएंगी | लोचन चाहे…’ गुड़िया’…., के हों या’…., नारी’… …,औरतें …,या ‘आज की सीता’ की ,सभी लुभावने बन गए हैं | आपके लोचनों को नहीं नकारा जा सकता है |…………………………………………………………………………………………………सरिता आप तो जीवों को ,प्रकृति को सींचित करती हो | अजर अमर रहो यही जीवों की इच्छा रही है |…………………………………………………………………………………………ऋतू …’.मैं संत हूँ ‘ …,’क्यों माँ क्यों’ …,’पीपल की पूजा’ अवश्य ही फल दाई होगी न …,| ……………………………… ………………………………………… आरती जी आपकी…. ‘आधी अधूरी जिंदगी’ …..,अब चमकेगी ..| निराश न हों |……………………………………………………………………………………………………….नीलिमा जी आपके….. ‘२५ साल पुराने ख़त ‘……., कितना तहलका मचाएंगे शायद किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी |………………………………………………………………………………………………………………जवाहर एक संसार का चिर परिचित नाम ,साहित्याकाश का टिमटिमाता सितारा मधुशाला से ‘…, मन मयूर नाच उठे ‘….,लहरें सागर की ‘….,आप की बढ़ती लोकप्रियता ‘……., किरण जी आपने देर कर दी ‘……,कोई किसी से कम नहीं कौन जवाहरी जेकेट बन जाये |…………………………………………………………………………………………………………सदगुरू…, कौन दृष्टी हटा सकता है | ऐसे योगी गुरु से ..,| सटीक लेखन ,मंथन ,मार्गदर्शन ,भावनात्मक अभिव्यक्ती सभी तो तन मन को सदैव भिगोये रहती है | स्वप्न भी सदगुरू जी के ही आते हैं शायद कुछ नया मार्गदर्शन हो | क्या साहित्याकाश दृष्टी हटा सकता है | किस लेख को कम या ज्यादा कहा जाये यह निश्चय नहीं किया जा सकता |………………………………………………………………………………………………………..’.अभी तो लट्टू घूम रहा है ‘ …., अनिल कुमार जी ………………………………………………………………….योगी जी योगासन से बाहर निकलो .., ‘वहाँ जिंदगी कदम कदम पर रोती होगी ‘……,चिंतन मनन अभी से इतना मत करो हंसो खेलो मौज मनाओ | साहित्याकाश आपका इंतजार कर रहा है |………………………………………………………………………………………………………संजय कुमार जी …..’.प्यार मैं हम जो जो आगे बढ़ते ‘……..,| ………, अब न बढ़ोगे तो कब बढ़ोगे |……………’.जवानी बनाम बुढ़ापा ‘ …………, का ख्याल रखो ……|………………………………………………………………………………………………………’.अब गधे भी घोड़े कहलाने लगे हैं ‘….,राजेस कुमार जी रोमांचक पकड़ है आपकी ….|…………………………………………………………………………………………….’..गुनगुनाएं ‘……… बैद्य सुरेन्द्र पाल जी की कविता और मदहोश हो जाएँ ….,|……………………………………………………………………………………..आचार्य जी आप वास्तविक अर्थों के साहित्य के आचार्य हैं | ‘अनुत्तरित प्रश्न …………, ‘मेनका श्रंगार करने लगी है …..,तभी तो विष्फोट करता शब्द ‘………,|……………………………………………………………………………………….नीना जी …….’.मायाजाल है दुःख ‘…….,संसार है एक दरिया , सुख दुःख दो किनारे है | सब भगवन की माया है |………………………………………………………………………….यतीन्द्र नाथ चतुर्वेदी जी ,आप तो चारों वेदों के ज्ञाता हो, आपकी विद्वता को कोई कैसे नकारेगा |……………………………………………………………………………………………….निर्मला जी आपके निर्मल मन लेखन कैसे नकारा जा सकता है |…………………………………………………………………………………………………..भगवान बाबू आप तो स्वयं ही भगवान हो फिर क्या कमी होगी आपको |………………………………………………………………………………………’..तुम अगर ख्वाब हो मेरा ‘…….,वाह क्या भाव हैं अंकेश जी |……………………………………………………………………………………………….’.यह आवाज हमारी ताकत है ‘…., निश्चिन्त हो शांत रहें प्रशांत जी |………………………………………………………………………………………………… भगवन कृष्ण के पर्याय, मदन मोहन जी , ..’अतिथी देवो भवः ‘ के सिद्धान्ती ,अभी अंतर्ध्यान हैं | प्रकट होते ही अपनी प्रभा से चकाचौध अवश्य कर देंगे ..|………………………………………………………………………………………………अपारसंकलित रचनाओं के प्रणेता ,जिनको सहेजकर पुस्तकालय की शोभा बनाया जा सकता है | मनोरंजक संकलन के कारक मनोरंजन ठाकुर जी के उदय होते ही सब अदृश्य हो सकते हैं ,आपके स्थान को कौन नहीं स्वच्छ करना चाहेगा ..|…………………………………………………………………………………………………सुनीता जी आप तो स्वयं प्रकाश स्तम्भ हैं | आपके .सहयोग के बिना सरताज कैसे स्थानापन्न हो सकते हैं ..|……………………………………………………………………………….’..दुष्कर्मियों सँभल जाओ ‘………हरिरावत जी की फौजी गर्जना से तो अंतरिक्ष का साहित्याकाश कंपायमान ही हो जायेगा ….|….,……………………………………………………………………. ऐसे महान सुस्थापित नवग्रहों के आलावा क्या कोई दृष्टिगोचर हो सकते हैं | मत जाओ ऐसे अंतरिक्ष मैं, वहाँ कोई नहीं देख पायेगा | लौट फेर कर तेजस्वी नवग्रह ही अपनी चमक से प्रभावित करते रहेंगे | मोतिया बिंदी आँखें कभी किसी साधारण तारे को नहीं पहिचान पाएंगी | कष्ट क्यों उठायें जो अपनी चमक बनाये हैं ,वही तो सरताज होयेंगे | कुछ लुप्त प्रायः चमकदार तारे कहीं , अचानक उदय होकर अन्य तारों को निष्तेज कर देंगे | क्यों मेहनत कर रहे हो ऐसे अनन्त तारों के अंतरिक्ष मैं जहाँ नवग्रह अपना प्रभाव नहीं छोड़ेंगे | फिर वही सरताज होयेंगे | निष्तेज तारे तो ‘क्योंकि. को ‘ क्योकि ‘ पर ही अप्रभावित हो जायेंगे | या परिणाम एक दिन पहिले ही घोषित कर दिया जायेगा | …………………………………………………………. ॐ शांति शांति शांति
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