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आजतक शरणं गच्छामी

PAPI HARISHCHANDRA
PAPI HARISHCHANDRA
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आजतक शरणं गच्छामी ,………………………………………………………………..च्यवन्प्राश खाकर बूडे च्यवन ऋषि भी जवान हो गये थे | आप तो आजतक जवान हो , आप तो और भी जवान हो जाओगे | इसलिए च्यवन्प्रास खाओ और मुझे शरण दो प्रभो | मुझे पता है कि आप की दिव्या द्रष्टी जिस पर पढ़ जाती है , उसका आशाराम हो जाता है | में आप को उम्र भर च्यवन्प्रास खिलाता रहूँगा | मेरी ओर द्रष्टी मत डालना प्रभो ……’| ………………………………………………..आप की द्रष्टी से तो भगवान शिव के पुत्र गणेश का सिर ,धड़ से अलग हो गया था | मुझे मालूम है कि वर्तमान में आप (शनि देव )तुला राशी में अपने मित्र(राहु ) के साथ से उच्च का होकर महाबलशाली हो चुके हो | आप तो साक्षात न्याय के देवता कहे जाते हो | जहाँ भी अत्याचार , अनाचार होता है | आप दंडाधिकारी बन दंड दिलाते हो | मेरे मित्र आशाराम ने यदि आपकी शक्ति को भाँप लिया होता , तो शायद यह हालत नहीं भोगनी पढ़ती | प्रभो मेरी इस जन्म की ,पूर्व जन्म की ,और आगे आने वाले जन्मों की भी ग़लतियों को क्षमा करना | मेरे च्यवन्प्रास का प्रयोग आप करते रहना | ………………………………………………..आपके (शनि )के निर्णय को कोई चुनौती नहीं दे सकता है ,क्यों कि सूक्ष्म निरीक्षण वा विश्लेषण के बाद ही निर्णय लेते हो आप ..’उसमें कोई कसर नहीं छोड़ते हो | आप यह निश्चित कर लेना चाहते हो कि अहंकार और अहं रहित होकर मानवीय पक्ष को विकसित करता है या नहीं ..?तथा व्यक्ति को महान से महानतम बनाना चाहते हो | आप चाहते हो की व्यक्ति को कठनाईयाँ आएँ ,और चुनौतियों का सामना करे | इस कठिन परीक्षा के बाद प्राप्त विजय के बाद व्यक्ति के उपर क्र्पा की वर्षा होती है |आप व्यक्ति की छुपी हुई प्रतिभा ,संयम ,और सहन शक्ति की परख करते हो | तथा यह शिक्षा देते हो कि तुममे इतनी क्षमताएँ हैं, कि किसी भी दूसरे सहारे की आवश्यकता नहीं है | एक बार ब्यक्ति संकटों ,समस्याओं ,बाधाओं ,तनाओं चिंताओं ,से पार पा लेता है तो वह पुनः मूल्यांकन करने लगता है | तथा उसका द्रष्टीकोण अपने और दूसरे के प्रति बदलने लगता है | आप कठोर प्रक्रति हैं , लेकिन एक बार शिक्षाओं को ह्रदयगत कर लेने पर आशीर्वाद ,क्र्पा और अतुलनीय प्रेम न्योछावर कर देते हो | इसमें संदेह नहीं की प्रारंभ में आप दुर्गती कर देते हो | यदि आप की कृपा हो जाए तो व्यक्ति संसारिक स्तर पर सदा रहने वाली संपदा ,,यश,ख्याति तथा इच्छित वस्तुओं को प्राप्त कर सकता है |……………………………………………… ,अतः हे प्रभो ..’मेरे च्यवन्प्रास को सदैव ही अनुग्रहित करते रहना , में जन्म जन्मानतरों तक आपका आभारी रहूँगा | ओम शांति शांति शांति

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