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इंग्लिश स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे आजकल हिंदी में काफी कमजोर हो चुके हैं साधारण सी हिंदी भी नहीं समझते हैं हिंदी गिनती में तो गड़बड़ाते ही हैं आजकल टी वी अख़बारों में दहाड़ शब्द बारम्बार आ रहा है ,बच्चे कई बार दहाड़ शब्द के बारे में पुँछ चुके हैं. यह ‘दहाड़’ क्या होती है चाचा?
कैसे बताऊँ मुंह से आवाज निकाली तो बच्चे हंसने लगे. फिर गम्भीरता से कहा जब कोई लायन यानि शेर आवाज निकालता है तो उसे दहाड़ कहते हैं जिसको सुनकर सन्नाटा छा जाता है सब साधारण जीव मुंह छिपकर खामोश हो जाते हैं, स्त्रीयां अपने पुरुष साथियों से चिल्लाती चिपक जाती हैं, बच्चे रोने लगते हैं. शायद बच्चे नहीं समझे, फिर आगे जोड़ा. आम फिल्मों में जैसे शत्रुधन सिन्हा कहते हैं “खामोश” तो सब खामोश हो जाते हैं ,जैसे टीचर कहते हैं खामोश या साइलेंट ,तो बच्चे खामोश हो जाते हैं जैसे एंग्री यंग मेन अमिताभ बच्चन अपनी क्रोधी आवाज में सबके छक्के छुड़ाते चुप करा देते हैं.
हाँ चाचा ,लेकिन कुत्ता जब भोंकता है तो सारे कुत्ते भोंकने लगते हैं चाहे कितनी ही दूर क्यों न हों ,,चाहे साधारण पिल्लै ही क्यों न हों ,, यह जोड़ते हुए दूसरा बच्चा स्वयं ही बोल उठा जैसे समझ गया हो ,, इंग्लिश स्कूल के बच्चों मैं समझ तो तीब्र होती है ,तभी तो दस दस किलो के बस्ते उठाते ढोते सब समझ लेते हैं. प्रश्न बाल सुलभ था उत्तर भी सामान्यतः दे दिया ,मन मैं विचार कोंधा कि आजकल भावी प्रधान मंत्री जी अपनी जन सभाओं मैं दहाड़ रहे हैं स्वयं भी अपनी शैली को दहाड़ कहते हैं १३ वर्षों से सर्वश्रेस्ठ सर्वोच्च चॅनेल भी दहाड़ ही कहता है ,अगर यह दहाड़ है तो प्रतिध्वनी मैं क्यों आवाजें आती हैं छोटे से छोटा अपने पक्ष का हो विपक्षी क्यों आवाजें निकालने लगता है क्यों नहीं दहाड़ सुनकर शांत होता है १३ वर्षों के सर्वोत्तम ने कहा है तो यह दहाड़ ही होगी यह सत्य मानकर अन्य चॅनेल भी इसे दहाड़ ही कहने लगे हैं.
समाचार पत्र भी दहाड़ ही मानने लगे हैं समझ मैं नहीं आता दहाड़ की क्या नयी परिभाषा हो गयी है क्या गलत तो नहीं बता दिया बच्चों को ,,?१३ वर्षों से सर्वोत्तम तो गलत नहीं हो सकता उसे तो सब ज्ञान है ,बगुला भगत रूपी धर्मावतार आशाराम को भी उसी ने सही पहिचाना जो उसने अपनी दिव्या ढ्रस्ती से कहा उस पर विस्वास कर उसे जेल की हवा खिलाई ,आम जनता को विस्वास हो या न हो सारी राजनीतिक पार्टियां ,पोलिस ,न्यायालय,पूर्ण सहमत होते ब्यवहार कर रहे हैं. इसका मतलब वह दहाड़ ही रहे हैं शायद विपक्षियों की ,मुसलमानों की, बौखलाहट रुपी खामोशी यही दर्शा सी रही है ,शेर महा शक्तिशाली ,जंगल का राजा ,भयंकर दहाड़ वाला ,जिससे पूरा जंगल थर्रा उठता है और खामोशी छा जाती है ,लेकिन उसका भविष्य क्या होता है उससे सब डर सकते हैं कोई उसे तानाशाह कहता है ,कोई भविष्य पर प्रश्न चिन्ह लगाता है शायद विपक्ष की दिव्या द्रस्टी ज्यादा प्रदुषण रहित है.
कुत्ता स्वामिभक्त होते हुए भी सर्वप्रिय टिकाऊ होता है उसके रिटायर होने के बाद भी पेंशन दी जाती है लंडन मैं बकिंघम पोलिस के कुत्तों को दी जाती है पेंशन ,,,, वह सबकी सुनता है सबको सुनाता है तो क्या बुरा करता है ,,उसकी पूजा की जाती है मेले लगते हैं. नेपाल मैं तो दीवाली की तरह शानदार कुकुर तिहार पर्व मनाया जाता है ,कुत्तों को तिलक लगा माला पहना कर पूजा की जाती है शानदार भोजन करा मिठाई खिलाई जाती हैं लोक तंत्र मैं कुत्ता ही तो सब की सुनता है सब को सुनाता है,, हिन्दू तो राहु केतु शनि कोप को शांत करने वाला मानते हैं ,इसलिए उसे रोटी खिलाते हैं. विदेशों मैं जहाँ एकल परिवार का चलन है बच्चे अलग रहते हैं, वहाँ कुत्ते ही दोस्त होते हैं सुख दुःख के साथी होते हैं.
घर मैं पहुचने पर जो जोरदार स्वागत कुत्ते करते हैं तो सारी थकान भुला देते हैं ,और अपनी सारी सम्पत्ती तक कुत्तों के नाम कर जाते हैं सदियों से हम ऐसी कहानियां सुनते आये हैं जिसमें कुत्ते ने अपने मालिक के प्रति वफादारी दिखाते हुए अपने प्राण तक दे दिए या मालिक की मृत्यु के बाद स्वयं भी खाना पीना छोड़ दिया और म्रत्यु पायी. बच्चे तो कुत्तों को जी जान से प्यार करते है कुत्ते भी बढ़ों के मुकाबले बच्चों को जी जान न्योछावर करते खेलते है. बच्चो कैसी लगी कहानी. हैप्पी चिल्ड्रेन्स डे.
ॐ शांति शांति शांति
डिस्क्लेमर: उपरोक्त विचारों के लिए लेखक स्वयं उत्तरदायी हैं। जागरण डॉट कॉम किसी भी दावे, आंकड़े या तथ्य की पुष्टि नहीं करता है।
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