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सच तो यह है आधी आबादी तो अपने वोट का उपयोग करती ही नहीं है ,इसमे से भी ९० प्रतिसत तो ऐसे सर्वेक्षणों से अनभिज्ञ रहते होंगे ,जो ऐसे सर्वेक्षण को देखते सुनते होंगे वे भी भिन्न भिन चैनलों के सर्वेक्षण देखकर भ्रमित ही होते होंगे ,,होता यही है की अपनी अपनी पार्टियों ,प्रत्याशियों के समर्थक अपने अपने पक्ष के सर्वेक्षणों से गौरवान्वित होते रहते हैं………………… वोट डालते समय भी अपने ब्यक्तिगत संबंधों के दबाव में रहकर अपना समर्थन बदलने को मजबूर हो जाते हैं ,होता यही है जन मत को बदलने के लिए एक आत्म संतोष से भरकर जोश से प्रचार कर…………………. अपने मुंह मियां मिट्ठू ………….. बनते रहते हैं……….. क्या कर लेगा ऐसा वर्ग जो ९५ प्रतिसत से ज्यादा होता है जो ऐसे जनमत सर्वेक्षणों से अनभिज्ञ होता है ,……………………………………………………..कोई फर्क नहीं पढ़ सकता ऐसे भ्रामक सर्वेक्षणों से सिर्फ चुनाव प्रचार का आधार ही बन सकते हैं ऐसे सर्वेक्षण ,,,,,और टी वी चैनलों का पोषण ही कर सकते हैं यह सर्वेक्षण ,,,,,आम जनता ऐसे सर्वेक्षणों को देखती भी नहीं है जो मनोरंजन विहीन ही लगते हैं ,,,,,,,……………………………………………………………………..अब युग आया है ऐसे सर्वेक्षणों का जो टी वी चनेलों में प्रसारित ,या प्रायोजित किये जाते हैं ,,……………………………..अब मुख्या आधार रण नीति, राजनीती ,कूटनीति ही हो चुकी है नैतिकता ,सत्यता ,सब किनारे हो चुकी हैं ,सब कुकर्म करने वाला ही अपने को महान सिद्ध कर देता है अपनी रण नीति से ,……………………………………………………………………………..सर्वेक्षणों का आधार सत्यात्ता से जो हो सकता है वह दर किनार करके अपने अपने हित साधक तथ्यों से अपने पक्ष में सिद्ध किया जाता है ………………………………………………………………………….साधारण जनता को इन सर्वेक्षणों का कोई प्रभाव नहीं हो सकता या नगण्य ही होता है ,,,क्यों की अपने अपने हित अपने अपने संबंधों पर ही वोट का उपयोग किया जाता है ,,,जनता अपनी बुद्धि का उपयोग अपने अपने हितों पर ही करती है ,,,……………………………………………………………………….चुनाव से ऐसे सर्वेक्षण प्रतक्षय में तो प्रभावित करते लगते हैं विरोधी दल या प्रत्याशी तो ऐसे सर्वेक्षणों पर रोक की मांग कर आत्मा संतोष अनुभव कर सकता है ,,,लेकिन आम जनता अप्रभावित ही लगती है ऐसे सर्वेक्षणों पर रोक लगती रहती है लेकिन दबंग चैनल्स या पार्टियाँ फिर भी बाज आते नजर नहीं आते हैं ……………………………………………………………………………… कोई फर्क नहीं अलबत्ता यह राजनीती है हम सब मोहरे नाचेंगे हम लड़ेंगे हम ,मरेंगे हम ,,,,,लाभान्वित होयेंगी राजनीतिक पार्टियाँ ,,,,साधारण जन की भावनाओं से ही खेलकर वोट पाना होता है यह भी भावनाओं का खेल ही तो है …………………………………..लेकिन यह भी सच है एक दिन हर ऊंट को पहाढ़ के नीचे आना ही पढता है ,कोई भी नेता या पार्टी कभी भी भावनाओं से खेलती हुई सदा सत्तारूढ़ नहीं रह सकती ,, यह अवश्य है की अधिकतम बाजी उसके पास ही रहे ,,……………………….यह सर्वेक्षण भी राजनीती ,कूटनीति ,का ही रूप तो है जिससे भावनाओं को बदलने का प्रयास किया जाता है ,,,,…………………………………….ॐ शांति शांति शांति ………………………………………
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