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रक्तबीज ,एक ऐसा राक्षस था युद्ध के समय जिसका रक्त प्रथ्वी पर गिरते ही उसी के समान बल शाली अन्य रक्बीज पैदा होकर युद्ध करने लगते थे ,मां दुर्गा के प्रहार से आहत जब जब रक्त प्रथ्वी पर गिरता था ,,,,,,,,,एस तरह रक्तबीजों से समस्त विश्व ब्याप्त होने लगा तब माँ काली का आवाहन कर उनके सहयोग से उसका बध किया मां दुर्गा आहत करती और मां काली उसके गिरते रक्त को प्रथ्वी पर गिरने से पहले ही चट कर जाती ,इसी तरह अंतिम रक्त बूंदों को चट करके उन्होंने रक्तबीज का बध किया ,……………………………………………………………………..क्या वास्तव में रक्तबीज राक्षस का अंत हो चूका है ,शायद नहीं ,,,एक दुर्गुणों वाला राक्षस अन्य राक्षसों को पैदा कर रहा है ,,,,,,क्या एक दुर्गुणी ब्याभिचारी भ्रस्टाचारी राक्षस को सजा या फाँसी देकर रक्बीज का अंत समझ खुश हुआ जा सकता है ,,,शायद नहीं क्यों की उसका कारक,उत्पादक तत्त्व रक्तबीज जिन्दा है वो अपने रक्त से अन्य रक्तबीजों को पैदा कर रहा है …………………………………उधारण के लिए रेप के दोषियों को फांसी ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,…क्या इस अपराध के सम्पूर्ण रूप से वो दोषी हैं ,क्या वातावरण दिया गया उनको ,खुले तौर पर उत्प्रेरक की उपलब्धी ,चाहे वो शराब हो या साहित्य हो ,,,,,,,,,,इसके लिए जिम्मेदार सरकार प्रमुख तौर से दोषी है ,,वे संस्थाएं भी बराबर की दोषी हैं जो इन का उत्पादन करती हैं ,,,सरकार रेवेनु के लिए इन पर प्रतिबन्ध नहीं लगा सकती है ,,,शराब पर टैक्स तो बड़ा सकती है लेकिन प्रतिबन्ध नहीं ,,,,अश्लील फिल्मों पर ,टी वी ,टी वी चैनलों पर ,इन्टरनेट पर ,सोशल मिडिया पर ,मोबइल पर ,सी डी,डी वी डी ,में सहज उपलब्ध है यह सब कुछ ,,,,,जब बड़े बड़े संत महात्मा नेता ,अभिनेता ,अपने पर संयम नहीं रख सके तो ये तो साधारण अनपढ़ गरीब ही थे ,,,,मुख्या कारक रक्तबीज तो भयंकर अट्टहास कर रहा है , ,,,धन, भोग विलाश ,की हड्डी अन्य जन समुदाय के आगे डालकर इसने सरकार ,अधिकारी ,समाज समाजसेवक ,या अन्य को भी सम्मोहित कर लिया है आज विकास प्राथमिक हो चूका है चाहे उसके लिए धन किसी तरह से आये ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,.,शराब की बुराईयों को देखते हुए १९७७ में बनी जनता पार्टी सरकार ने शराब पूर्ण रूप से प्रतिबाधित कर साहसिक कदम उठाया लेकिन आगे आने वाली सरकारों ने यह कहकर कि रेवेनु के सोर्स ख़तम हो रहे है विकास रूक रहा है अर्थ ब्यवस्था खराब हो चुकी है पुनः प्रतिबन्ध हटा दिया ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,….,दूसरा प्रमुख रेवेनु कारक फिल्म उद्योग है जिसको पूर्ण तौर से कुछ भी सेक्सी या हिंसक ,कुशिक्षक ,परोसने को खुली छुट है जहाँ फिल्म उद्योग शिक्षा युक्त ,संयमित मसाला परोसे तो बहुत कुछ मार्गदर्शक हो सकता है वहीँ ये गलत उत्तेजक संस्कार भरकर समाज को गलत राह दे रही है इस पर प्रतिबन्ध न लगा पहली दोषी सरकार है दुसरे फिल्म उत्पादक ,कलाकार ,,आदी …………………………………………………………………………………………………एक पापी को पकड़ने सजा देने के लिए सम्पूर्ण देश एक स्वर में बोलने लगा है किन्तु इसके कारक रक्तबीज की ओर किसी का ध्यान नहीं जाता क्यों की उन कारकों के अंशों में स्वयं वो भी हैं ,क्यों कि ऐसे साहित्य फिल्मों को देख कर उनको कमाई का साधन देकर उनको प्रोत्साहित जो कर रहे होते है शराब को या अन्य उत्तेजक पदार्थों का प्रयोग कर उनको पोषण जो दे रहे हैं सरकार को सरकार चलानी है फिर सत्तारूढ़ होना है विश्व में सर उठाकर विकशित होने का दंभ भरना है रेप अपराध भ्रस्टाचारके दोषियों को सजा देकर हम संतोष की शांस लेते हैं लेकिन मुख्या कारक रक्तबीज को ख़त्म न कर फिर उसका दंश भोगते हैं ,…………………………………………………………………….,………………………,फिर अकेला भूमि पर गिरा रक्तबीज ही अपराधी घोषित होकर सजा का हक़दार क्यों ?……..मुख्या दोषी रक्तबीज क्यों नहीं ,,,,,,……………………………………………………………………………………………..डॉन फिल्म जैसी फिल्मों का निर्माता हीरो विलेन अदि सभी कलाकार मान सम्मान के भागी होकर धन वैभव कमाते है वहीँ ऐसा प्रतक्ष्य में करने वाला सजा का भागी होता है ,,फिल्मों में कुछ भी करने वाला कुछ भी दिखाने वाला कलाकार होकर लाभान्वित . होता है,,, प्रतक्ष्य में करने वाला अपराधी ,,,,,,,,,…………………………….फिर युग आया रावण का ,,,,,,,,,,,,,………………………………………………………………………….,पापी अमृत पान किये रावण का अंत क्या राम ने कर दिया प्रतक्ष में यही लगता है ,,परन्तु रावण अपने पापों सहित विश्व में रक्तबीज की तरह ही सर्व ब्यापी हो चूका है ,,,गली मोहल्ले ,गाँव ,शहर प्रदेश देश विदेश कहाँ नहीं रावण को ,रावण के पापों सहित उसका पुतला जलने का ड्रामा किया जाता है ,,,,क्या पुतला जलाकर पाप का अंत कर पाते है ,,,या सिर्फ परंपरा निभाते है …………………………………………………………..रक्तबीज और रावण सर्व ब्यापी हो चुके है वो मनुष्य के रक्त में बस चुके है इन्हें मारने जलाने का ड्रामा सरकार के सहयोग से करते है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मनोरंजन के लिए ,,,,,,
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