Menu
blogid : 15051 postid : 613883

CONTEST ,,हिंदी गर्व की भाषा है बाज़ार की नहीं , हिंदी है हम बतन है हिंदुस्तान हमारा ,

PAPI HARISHCHANDRA
PAPI HARISHCHANDRA
  • 216 Posts
  • 910 Comments

हिंदी है हम …… बतन है हिंदुस्तान हमारा ………………………………………………………………….यह कहना गलत होगा कि हिंदी बाज़ार की भाषा है गर्व की नहीं या हिंदी गरीबों या अनपढ़ों की भाषा बनकर रह गयी है …………………………………………………………………………………………जिस भाषा को हम भारतीय सरलता से समझ बोल सकते है जिसको हिंदुस्तान की ,,मात्र भाषा ,,का दर्जा प्राप्त है ,जिसको हिंदी भाषी ही नहीं बल्कि अहिन्दी भाषी भी उसी तरह सीखकर अपनी शिक्षा , रोजगार ,को बड़ा रहे है ,जैसे कि इंग्लिश का अध्ययन करके ,,,भारत के अहिन्दी भाषी राज्य के अधिकतम लोग हिंदी भाषी राज्यों में रहकर हिंदी में पारंगत होते जा रहे है आज हमें गर्व है कि हम संपूर्ण भारत में हिंदी को प्रसारित करते जा रहे है दिल्ली , मुंबई, कलकत्ता जैसे हिंदी भाषी महानगरों में 25 प्रतिशत अहिन्दी भाषी रहते है और हिंदी में पारंगत हो चुके है और हो रहे है हिंदी एक अकेली भाषा न होकर सर्व भाषीय संकलित भाषा बन रही है हमें उसके सर्व भाषीय शब्दों के साथ विकास को महानता से नव् परिधानो में देखना चाहिए ,वह बाज़ार की भाषा नहीं सम्मान गर्व की भाषा है वह गरीब या गरीबो की भाषा नहीं अनपढ़ों की भाषा नहीं हमारे हिंदुस्तान की,, मात्र भाषा ,,हिंदी है ,,संस्कृत ,,जिसकी जननी है देवनागरी जिसकी लिपि है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,शिव जी के तांडव नृत्यमें डमरू से निकले स्वरों को महर्षी पाणीनी ने शब्दों का रूप देकर एक महान भाषा संस्कृत का रूप दिया , मनुष्य को भावो की दुनियां से लिखने पड़ने की संस्कृति में पदार्पण कराया विश्व को , ,,,,,,,,,ये संस्कृत भाषा ही कालांतर में अन्य भारतीय भाषाओँ में विकसीत हुईं अतः सभी भारतीय भाषाएँ संस्कृत सूत्र से एक में पिरोई माला ही है,,,,,,,,वैसे भी इतिहास के अनुसार सिधु नदी के इस पार के लोगों देशों को हिन्दू शब्दों से पुकारा जाने लगा और भाषी हिंदी और देश बना हिंदुस्तान यानि सिन्धु नदी के इस पार सब हिंदी ही है जिसकी पित्र भाषा संस्कृत है …..हमरे देश की समस्त भाषाओँ की पित्र भाषा संस्कृत के शब्द हर अहिन्दी भाषा में गर्भित है …………………………………………………उत्तम ही कहा गया….. हिंदी है हम बतन है हिंदुस्तान ,,,,सारे जहाँ से अच्छा हिदुस्तान हमारा ,,,,,,,,,,,,,,…………………………………… १०० करोड़ से ज्यादा की जनसख्या की,,,,, मात्र भाषा ,,,,सम्मानीत भाषा के रूप में है भविष्य में संपूर्ण भारत में प्रसारित होकर पूरे विश्व में छाने की क्षमता है इसमे ,,,क्यों कि १०० करोड़ से ज्यादा की जनसँख्या पुरे विश्व में छाती हुयी एक प्रभावशाली प्रसार उत्पन्न करेगी ,,,,,,उसके लिए हमने हिंदी के नव परिधानों यानि विश्व के सर्व भाषीय प्रचलित शब्दों के वस्त्र भूषणों को समाहित करने से नहीं हिचकिचाना चाहिए जहाँ इंग्लिश पुरे विश्व की संपर्क भाषा है तो १०० करोड़ से ज्यादा हिंदी जन संख्या भी संपूर्ण विश्व में शिक्षा ,ब्यवसाय और राजनीती आदि द्वारा छाने की क्षमता रखती है वैश्वीकरण जहाँ हमें इंग्लिश द्वारा विश्व से जोड़ता है तो विश्व की जनता भी, १०० करोड़ों से ज्यादा की भाषा को समझने अपनाने को मजबूर होती जायेगी ,,विश्व की समस्त भाषाएँ भी प्रचलित वैज्ञानिक ब्याव्सयीक राजनीतिक शब्दों से अपने विश्व कोष भर रही है,, तो हिंदी भी अगर ऐसा कर अपने शब्द कोष को बड़ा कर हिंदी को सुगम सर्व पठनीय बना रही है तो ये हिंदी का विकास ही होगा जो संपूर्ण विश्व में पठनीय होगा,,,,,,,,,, वैज्ञानिक , तकनीकी शब्दावली आयोग,,,,,, ने ५३ वर्षों में आठ लाख से ज्यादा शब्दों को जोड़कर हिंदी शब्दावली को ब्यापक ,विश्व से जोड़कर महान बनाया ,अब हमें प्रचलित वैज्ञानिक ब्यवसायिक, राजनीतिक शब्दों को अपठनीय हिंदी रूपांतरण न करना होगा हम उन्हे उनके प्रचलित मूल रूप में अपने हिंदी के शब्दकोष में समाहित कर चुके है हम अब गर्व से कह सकते है कि ये हमारी मात्र भाषा के अभिन्न अंग है ,,,…………………………………गरीब या गरीबों की भाषा वह कहलायेगी जिसके पाठक कम हों जो विश्व में प्रसार की क्षमता न रखती हो ,हम विश्व के सबसे बड़े प्रजातंत्र देश की मात्र भाषा हिंदी के बोलने वाले हिन्दुस्तानी है ,जहाँ देश में प्रजातंत्र है वहीँ भाषा में भी सर्व भाषी प्रजातंत्री रूप ही तो है हिंदुस्तान जहाँ धर्म निरपेक्ष है तो हिंदी भी भाषा निरपेक्ष है यदि हिंदुस्तान में विश्व की सभी वर्ग जाति ,मूल ,धर्म ,आदि सर्व धर्म सम भाव से अपने अधिकारों से रहते है,, तो हिंदी भाषा में भी सर्व भाषी शब्द अपने अधिकारों से समाहित होते जा रहे है,,, जहाँ सबसे बड़े प्रजातंत्र और धर्म निरपेक्ष देश होने से हम गौर्वान्वीत है,,,,,, तो वही सर्व भाषी शब्दों में शब्द निरपेक्ष होकर हिंदुस्तान की,, मात्र भाषा ,, होकर गौरवान्वित है ,………………………………………………………………………….हमारे पढ़ोसी देश पाकिस्तान , बांग्लादेश , नेपाल और ,चीन में भी हिंदी अपनी ब्यवसायिक शक्ति से अपना वर्चश्व बना चुकी है, उप महाद्वीप में हिंदी एक सम्पर्क भाषा के रूप में स्थापित होती जा रही है ,,,,,,,,,,,……………………………………………………………………………..चीन में भी हिंदी पढी और पढ़ाई जा रही है भारत की १०० करोड़ से ज्यादा की हिंदी शक्ति को समझते हिंदुस्तान के बाज़ार में छाने के लिए ,,चीनी उत्पादों का भारत में छाने का मुख्य कारण हिंदी ही है ,…………………….स्वयं सिद्ध है ,……………………………………………………………………………………………………..हिंदी गौरव की भाषा है ,,…………………………………………..

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply