- 216 Posts
- 910 Comments
कंप्यूटर युग में जहाँ इन्टरनेट इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी से वैश्वीकरण हो चूका है .हिंदी ब्लोगिंग भी एक ऐसी विधा बन गयी है जिसको लिखना पड़ना एक शौक होता जा रहा है एस एम् एस ,चैटिंग से होता ब्लोगिंग अपने महत्व को बढाता जा रहा है ,विचारो का आदान. प्रदान ब्लोगिंग में समय विताने के साथ ,अपनी क्षमता को उत्प्रेरित करता है ,नव्परिवार्तनों के दौर में भी हम हिंदी के शब्दों का भरपूर और आकर्षक ढंग से प्रयोग कर हिदी के नव विकाश में सहायक हो सकते है ………………………………………………………………………………………हिंदी ब्लोगिंग ,सम सामयिक विचारधारा के साथ ज्ञानबर्धक, मनोरंजक संस्कृत ,उर्दू ,फारसी ,अरबी ,अंगरेजी ,क्षेत्रीय ,ग्रामीण ,भारतीय ,विदेशी या अन्य किसी भी भाषा के शब्दों के संगम सहित मनोरंजक बना रही है ,सर्व प्रचलित शब्दों को अपने गर्भ में समयोजीत कर हिंदी को सुगम , सर्व पठनीय ,सर्व सम्मत बना रही है ,………………………………………………अन्य भाषा के शब्दों के गर्भाचरण को ,हिंदी को अपमानित करने वाला ,या विकाश अवरोधक न मान और भी उन्नत ढंग से प्रस्तुत कर ब्लोगिंग की ओर आकर्षित किया जाना चाहिए ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,जहाँ लोग समाचार पत्र ,पत्रिकाओं या वाचनालय ,की पुस्तकों को अध्यन करने का समय नहीं दे पा रहे है ,वही इन्टरनेट के माध्यम से ब्लोगिंग की ओर अपनी सुविधा अनुसार आकर्षित हो रहे है दुसरे विचारों को तल्लीनता से मनन पठन कर रहे है ,अपने विचारों को ब्यक्त करने का मंच मिलना ,आत्म कुंठा ,या अपने तनाव को दूर करने का मनोरंजक मार्ग होता जा रहा है …………………………………………………………………………………………….अतः हिंदी ब्लोगिंग नव परिवर्तनों के दौर में हिंदी विकास को नए परिधानों के साथ नव रूप प्रदान करती विश्व पटल पर नव आयामों में नव योवानी दुल्हन सी ही, नव आगंतुक ,नव सीखियों को लुभाती छाती जायेगी ,जो सारे विश्व में सुगमता से अध्ययन मनन की जा सकेगी ,क्यों कि इसका शब्द कोष ब्यापक ,सर्व भाषीय होगा ,……………………………………………………….१९६० में गठित, ,,,,,,, वैज्ञानीक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग , ,,,,,,, ने पिछले ५३ वर्षों में हिंदी शब्दावली में आठ लाख से ज्यादा शब्द जोड़े है , अलग अलग विषयों की शब्दावली तैयार की गयी है ,,,,,,,सुचना प्रोद्योगिकी ,प्रशाशनीक,विज्ञानं ,नए अविष्कार ,,आदि ,,,,……………………………………… अब टेलीफ़ोन ,टेलीविज़न ,इंजीनियरिंग ,इंजिनियर, आदि शब्द हिंदी शब्दावली में जुड़ चुके है ,……………………………….इन्हें क्रमशः दूरभाष ,दूरदर्शन ,अभियांत्रिकी या अभियंता कहने की आवश्यकता नहीं ,,………………………..अब हिदी क्लिष्ट शब्दों का भंडार होकर ही साहित्य नहीं बनेगी वो सुगम सर्व पठनीय साहित्य बन जन मन में छा जायेगी ,इस अभियान को हिंदी ब्लोगिंग अत्यंत सुगम बना सुगमता से उभरेगी ,जिसको समस्त भारतीय अहिन्दी भाषीय ही नहीं ,समस्त विश्व भाषीय लोग भी सुगमता से समझ सकेंगे ,,इस अभियान में अंग्रेगी बराबर का सहयोग देकर अभिन्न अंग बनेगी ,जिसको सुगमता से सारा विश्व समझ सकेगा ,……………………………समझा ये जाता रहा था कि कंप्यूटर की दुनियां में हिंदी फाँट सहयोग नहीं करते लेकिन अब यूनिकोड फाँट ने आसन कर दिया है अब हिंदी भाषी साईबर स्पेस में अपनी रचनाओं को प्रसारित प्रचारित कर रहे है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,दुनियां के दुसरे मुख्यतः भाषी इंग्लिश ,जर्मन ,फ्रेंच ,या चीनी ,कंप्यूटर को ज्यादा मित्र मानकर साईबर स्पेस में ब्लॉग लिख कर दुनिया में छा जाते है ,……………………………………………………………………..हिंदी के कम ही है जो अपना ब्लॉग या साईट बनाकर नाम धन कम रहे है कंप्यूटर इन्टरनेट की साईबर स्पेस में छा जाने की तकनीकी हिंदी को विश्व में प्रसारित प्रभावित कर सकती है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,ये भी सत्य है कि रचना की श्रेष्टता साईबर स्पेस में सिद्ध नहीं हो सकती लेकिन हिंदी का प्रचार प्रसार तो होगा ही ,…………दुविधाओं को लेकर हिंदी साईवर स्पेस में जगह नहीं बना पाई ,,……………………………..हिंदी का ब्यापक सर्व सम्मत सर्व, पठनीय शब्दकोश ,ही इस कमी को दूर कर विश्व पटल में गूंजता जायेगा ,और ब्लोगिंग हिंदी को नए परिधानों नए आभूषणों से नव योवनी सर्व प्रिय भाषा के रूप में स्थापित कर छाती जायेगी ,……………………..डा .राजेंद्र प्रशाद ने भी कहा था ……..हिंदी चिरकाल से ऐसी भाषा रही है जिसने मात्र विदेशी होने के कारण किसी शब्द का वहिष्कार किया हो ,हिंदी उदार भाषा रही है इसमे विश्व के सर्व शब्दों का समावेश उदारता से किया है ,
Read Comments