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किसी भी साशन को तानाशाही से बचाने के लिए ही विधायीका , कार्यपालिका , न्यायपालिका, को अलग अलग शक्ति दी गयी ,,, उन पर भी अंकुश रखने के लिए ही मीडिया को प्रबल बनाया गया लेकिन हमारे देश मै मीडिया द्वारा आरोपी को आरोप सिद्ध होने से पहले गिरफ्तार होने से पहले ही सजा सुना दी जाती है ,वो चाहे देश का प्रधनमंत्री ही कियों न हो धर्म गुरु संत ही कियो न हो ,,जहा कोई भी पार्टी या नेता या धरम गुरु ,ब्यक्ति संयम से बयां देते है वही आजतक इन्टरनेट की सी तेजी से सजा भी दे देता है किया दूरदर्शन जैसी संयमित नहीं रह सकता ,,,,,किया सत्य को ज्यादा उजागर करके समाज मै अशन्तोश तो नहीं फैला रहे एस पर किया आचार संहिता नहीं बननी चाहिए किया माननीय कार्ट के फिसले से पाहिले ही फेसला कर देना कोर्ट की अवमानना नहीं इस पर हमारी ब्यवस्था को विचार कर आचार संहिता बनानी चाहिए ये आशाराम पर प्रहार है या हिन्दू धर्म के मानने वालो पर ….किया छवि बनेगी हिन्दू धर्म की ….इतना तेज भी नहीं होना चाहिए शायद .. किया अंत होगा इस प्रकरण का …. कही ऐसा तो नहीं भगवन रजनीश की तरह ही ओशो बन्ने का रास्ता हो ये तो समय ही बताएगा …….. मै तो,,,,, ॐ शांति … शांति …. शांति का जप करता रहूँगा
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