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भज राधे गोबिन्दा गोपाला, हरी का प्यारा नाम है

PAPI HARISHCHANDRA
PAPI HARISHCHANDRA
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सब कुछ भुलाने का, समाज मै हो रहे असहनीय अनाचर ब्याभिचार से शांति पाने का…….कृष्ण भगवन के एक अलोकिक रूप मै खोकर हम शांति आभाष करते जीवन बिता सकते है जब हमारा इस लोक मै प्राकृतिक या मानवीय आपदाओं पर बस नहीं चलता तो,,, भज राधे गोबिन्दा ,,, और सब कुछ भूल जाना ही शांति का कारक होता है यह कल्पना जब जब पाप की अति होती है तो पाप का अंत करने के लिए भगवन स्वयं अवतरित होते है हम पाप के सताए लोग शांति महसूश करते है भगवन को कण कण मैं महसूश कर हम भयहीन होते है लेकिन अपने से अशक्त के प्रति स्वयं भगवन के अशतित्वा को भूल जाते है वहा अपनी शक्ति नीति राजनीती का ही प्रयोग कर फिर अपने लिए दुखों को आमंत्रित करते नहीं अघाते ,,,,कर्म को भगवन का उपदेश मानकर बुरे कर्मो से भी नहीं चूकते ,,,लेकिन भूल जाते है कि बुरे कर्म हमें कर्म के फल से ही नई योनी पाते है अच्छे कर्म अच्चा व बुरा कर्म कीट पतंगे गंदे कीड़े आदि योनी मै भोगने को ,,,,यहाँ तक कि भगवन के अशतित्वा मै लींन होते है सत्कर्मी ,,,,जो सुख दुःख से परे जन्म मृत्यु से परे है ,,,जो एक जन्म के सत्कर्मों से नहीं बल्कि जन्म जन्मो के सत्कर्मो से व कुल के संस्कारों से ही भगवन मै लीं होते है ,,,,,,,, श्रद्धा हमारे अंतकरण के अनुसार ही होती है हमारा मन जैसा है हम वैसा ही अन्य को महसूश करते है ,,,,,,,भक्ति मन कि शांति के लिए एक उत्तम मार्ग है ,,,,,,,लेकिन कर्मों से पलायन न करते हूए ,,,,कर्म के साथ ,,,,

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